जयपुर न्यूज डेस्क: भजनलाल सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के एक और बड़े फैसले को पलटने की तैयारी कर ली है। जयपुर, जोधपुर और कोटा में बनाए गए दो-दो नगर निगमों को खत्म कर अब फिर से एक नगर निगम बनाने का निर्णय लिया गया है। यानी जयपुर में ग्रेटर और हेरिटेज को मिलाकर एक निगम बनेगा, जबकि कोटा और जोधपुर में भी दो-दो नगर निगमों को मिलाकर एक कर दिया जाएगा।
सरकार ने इस फैसले को लागू करने के लिए वार्ड परिसीमन की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। 16 फरवरी से 20 मार्च तक परिसीमन का कार्य चलेगा, जिसके बाद नए वार्डों का निर्धारण किया जाएगा। अनुमान है कि परिसीमन के बाद जयपुर में 150, जोधपुर में 100 और कोटा में 100 वार्ड बनाए जा सकते हैं।
भाजपा सरकार का मानना है कि कांग्रेस शासन में ये विभाजन केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया गया था, जिससे नगरीय प्रशासन कमजोर हो गया। सरकार का तर्क है कि जब मुंबई जैसा बड़ा शहर एक ही नगर निगम से संचालित हो सकता है, तो राजस्थान के इन शहरों में दो-दो नगर निगमों की क्या आवश्यकता थी?
स्वायत्त शासन विभाग (UDH) को इस बदलाव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं और परिसीमन प्रक्रिया की तैयारी पूरी कर ली गई है। सरकार का दावा है कि एक नगर निगम बनने से प्रशासनिक व्यवस्था सुगम होगी, विकास कार्यों में तेजी आएगी और जनता को अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने भी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नगर निगमों के विभाजन से न केवल प्रशासनिक अस्थिरता बढ़ी, बल्कि भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिला। उनका मानना है कि अब एक नगर निगम बनने से विकास योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा और जनता की समस्याओं का समाधान भी तेज गति से होगा।
इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। जहां भाजपा सरकार इसे प्रशासनिक सुधार बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे लोकतांत्रिक ढांचे से छेड़छाड़ करार दे रही है। अब देखना होगा कि यह बदलाव शहरों के विकास में कितना कारगर साबित होता है।