जयपुर न्यूज डेस्क: सड़क पर बेसहारा और घायल गोवंश को देखकर अक्सर मन दुखी हो जाता है। कभी हादसों की वजह से तो कभी बीमारियों की मार से ये मूक प्राणी दर्द में जीने को मजबूर रहते हैं। लेकिन जयपुर के कुछ युवाओं ने इन्हें यूं ही तड़पने नहीं दिया। कालवाड़ रोड पर सक्रिय जयपुर गोरक्षा दल न सिर्फ इनका इलाज करता है, बल्कि इनकी देखभाल के लिए एक अनोखी पहल भी कर रहा है—संगीत थेरेपी।
यहां हर सुबह और शाम जब क्रिटिकल केयर यूनिट में मधुर धुनें बजती हैं, तो घायल गायें खुद खड़ी हो जाती हैं। मानो जैसे संगीत उन्हें जीने की नई ऊर्जा दे रहा हो। दल के संस्थापक हिमांशु यादव बताते हैं कि पहले चोटिल पशु आक्रामक या सुस्त हो जाते थे, लेकिन संगीत से वे शांत रहते हैं और जल्दी स्वस्थ होने लगते हैं। इस पहल ने इनकी जिंदगी में उम्मीद और सुकून दोनों भर दिए हैं।
करीब पाँच साल पहले चार दोस्तों के साथ शुरू हुई यह मुहिम आज 350 से अधिक युवाओं की टीम तक पहुँच चुकी है। पार्थ सिटी स्थित अस्थायी अस्पताल में अब तक 2000 से ज्यादा घायल और बीमार गोवंश का इलाज किया जा चुका है। फिलहाल यहाँ 50 से अधिक गंभीर हालत में मौजूद पशु उपचाराधीन हैं। सड़क हादसे, टूटे पैर, अंधापन, तेजाब से झुलसने और हमलों जैसी स्थितियों में ये दल इन मूक प्राणियों का सहारा बन रहा है।
खास बात यह है कि यह गोरक्षा दल किसी सरकारी मदद पर निर्भर नहीं है। सदस्य खुद ही संसाधन जुटाते हैं और सेवा भाव से अपना समय देते हैं। पशु चिकित्सकों का भी मानना है कि संगीत थेरेपी इन गोवंश के लिए बेहद कारगर है, क्योंकि इससे वे माहौल में ढल जाते हैं और उनका स्वभाव शांत हो जाता है। दल का संदेश साफ है—करुणा और संवेदनशीलता से बड़ा कोई इलाज नहीं होता।