दुनिया के इतिहास में कई बार 'दुनिया खत्म होने' की भविष्यवाणियां की गईं और हर बार वे खोखली साबित हुईं। ताजा मामला अफ्रीकी देश घाना से सामने आया है, जहाँ एबो नोआ (Abo Noa) नामक एक शख्स ने खुद को आधुनिक युग का पैगंबर नूह घोषित कर दिया। उसने दावा किया था कि 25 दिसंबर 2025 को दुनिया में महाप्रलय आएगी, जो तीन सालों तक चलने वाली निरंतर बारिश से पूरी मानवता को मिटा देगी। लेकिन जब तारीख आई, तो न आसमान फटा और न ही धरती डूबी; डूबा तो सिर्फ उन हजारों लोगों का भरोसा, जिन्होंने डर के मारे अपनी जमा-पूंजी उस शख्स के चरणों में डाल दी थी।
एबो नोआ: प्रलय का डर बेचने वाला 'नया नूह'
घाना के कसोआ इलाके में रहने वाले एबो नोआ, जिसे कुछ लोग 'एबो जीसस' भी कहते हैं, ने घोषणा की थी कि उसे ईश्वर से एक विशेष संदेश मिला है। उसने दावा किया कि 25 दिसंबर 2025 से शुरू होने वाला सैलाब इतना विशाल होगा कि केवल उसकी बनाई 'चमत्कारी लकड़ी की नावों' में बैठने वाले लोग ही जीवित बचेंगे।
अपनी भविष्यवाणियों को सच साबित करने के लिए उसने 8-10 विशाल नावें तैयार कीं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा गया कि लोग अपनी जान बचाने की उम्मीद में उन नावों में सीट बुक करने के लिए लंबी कतारों में लगे थे। एबो ने लोगों से मोटी रकम और दान लिया, यह वादा करते हुए कि ये नावें ही प्रलय के दौरान उनका एकमात्र सहारा होंगी।
25 दिसंबर 2025: दावों की हकीकत
भविष्यवाणी के अनुसार, 25 दिसंबर को पूरी दुनिया को जलमग्न हो जाना चाहिए था। लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट रही। घाना और दुनिया के अन्य हिस्सों में मौसम सामान्य रहा। कहीं-कहीं होने वाली छिटपुट बारिश के अलावा कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आई। किसी भी अंतरराष्ट्रीय मौसम विज्ञान एजेंसी ने ऐसी किसी घटना की पुष्टि नहीं की थी।
जब भविष्यवाणी फेल हुई, तो एबो नोआ ने चतुराई से पासा पलट दिया। उसने नया दावा किया कि: "मैंने ईश्वर से प्रार्थना की थी कि नावों में जगह कम है और लोग ज्यादा, इसलिए उन्होंने मेरी दया पर प्रलय को टाल दिया है और मुझे और नावें बनाने का समय दिया है।" यह तर्क उन लोगों के लिए था जो अपनी गाढ़ी कमाई उस 'अदृश्य सैलाब' के नाम पर गंवा चुके थे।
बाइबिल की असली नूह (Noah) की कहानी क्या है?
एबो नोआ ने अपनी कहानी को बाइबिल के 'हज़रत नूह' (Prophet Noah) से जोड़कर लोगों को गुमराह किया। बाइबिल और कुरान के अनुसार, जब दुनिया में पाप और अनाचार चरम पर था, तब ईश्वर ने नूह को एक विशाल नाव बनाने का आदेश दिया था। नूह ने सालों तक लोगों को चेतावनी दी, लेकिन किसी ने विश्वास नहीं किया। फिर एक विशाल बाढ़ आई और केवल वही लोग और जीव बचे जो उस नाव में सवार थे। एबो ने इसी प्राचीन धार्मिक आस्था का फायदा उठाकर लोगों के मन में मनोवैज्ञानिक डर पैदा किया।
विज्ञान और तर्क की कसौटी
विज्ञान के नजरिए से देखें तो 3 साल तक लगातार बारिश होना भौगोलिक रूप से असंभव है। पृथ्वी का जल चक्र (Water Cycle) एक संतुलन में काम करता है। किसी भी मौसम मॉडल ने घाना में ऐसी किसी असामान्य गतिविधि का संकेत नहीं दिया था।
निष्कर्ष: एबो नोआ की कहानी इस बात का प्रमाण है कि कैसे आज के आधुनिक युग में भी 'डर' सबसे बड़ा व्यापार बन सकता है। आस्था और अंधविश्वास के बीच की बारीक रेखा जब धुंधली होती है, तो एबो नोआ जैसे लोग उसका फायदा उठाते हैं। 25 दिसंबर की तारीख बीत चुकी है, और दुनिया वैसी ही है जैसी पहले थी—साफ है कि प्रलय आसमान से नहीं, बल्कि ऐसे पाखंडी दावों से आता है जो समाज की तार्किक सोच को डुबो देते हैं।