महाराष्ट्र के ठाणे जिले से जुड़ा एक चेक बाउंस मामला अब कानूनी फैसले के साथ चर्चा में आ गया है। कल्याण की एक अदालत ने चेक बाउंस के मामले में पूर्व शिवसेना पार्षद काशिफ इमामुद्दीन टंकी को दोषी ठहराते हुए तीन महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने उन पर तीन लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने अपने फैसले में साफ कहा कि आरोपी के इस कृत्य से पीड़ित को गंभीर वित्तीय नुकसान हुआ है।
यह फैसला कल्याण अदालत के पांचवें अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आई.ए.आर. शेख ने सुनाया। अदालत ने पूर्व पार्षद को परक्राम्य लिखत अधिनियम (नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट) की धारा 138 के तहत दोषी पाया, जिसे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 255(2) के साथ पढ़ा गया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जुर्माने की राशि अदा नहीं की गई, तो आरोपी को तीन महीने के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। एक दिसंबर को पारित इस आदेश की प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध कराई गई।
कैसे हुआ चेक बाउंस?
इस मामले के शिकायतकर्ता सादिकुज्मा दाऊद खान रेलवे विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी थे और कल्याण पश्चिम के निवासी थे। शिकायतकर्ता और आरोपी की पहचान वर्ष 2005 के नगरपालिका चुनावों के समय से थी। वर्ष 2022 में काशिफ इमामुद्दीन टंकी ने खान से 2.38 लाख रुपये के ऋण के लिए संपर्क किया। टंकी ने यह आश्वासन दिया था कि वह छह महीने के भीतर पूरी राशि लौटा देगा।
शिकायतकर्ता ने आरोपी पर भरोसा करते हुए नकद और चेक के माध्यम से यह धनराशि उपलब्ध कराई। ऋण की वापसी के लिए अगस्त 2022 में टंकी ने एक चेक जारी किया। हालांकि, जब यह चेक बैंक में जमा किया गया, तो वह ‘खाता बंद’ (Account Closed) टिप्पणी के साथ बिना भुगतान के लौटा दिया गया। इसके बाद सितंबर 2022 में शिकायतकर्ता की ओर से आरोपी को कानूनी नोटिस भेजा गया, लेकिन इसके बावजूद न तो राशि लौटाई गई और न ही कोई संतोषजनक जवाब दिया गया।
कानूनी नोटिस के बाद भी भुगतान न होने पर सादिकुज्मा दाऊद खान ने कल्याण अदालत में चेक बाउंस का मुकदमा दायर किया।
मुकदमे के दौरान शिकायतकर्ता की मौत
मुकदमे की सुनवाई के दौरान एक अहम मोड़ तब आया, जब शिकायतकर्ता सादिकुज्मा दाऊद खान का निधन हो गया। इसके बावजूद, उनके परिवार के सदस्यों ने कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का फैसला किया और मुकदमे को जारी रखा। अदालत ने यह भी माना कि शिकायतकर्ता की मृत्यु के बावजूद मामला कानूनी रूप से वैध है और उस पर फैसला सुनाया जा सकता है।
बचाव पक्ष की दलीलें
पूर्व पार्षद काशिफ इमामुद्दीन टंकी के बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता यासिर पेशीमाम ने अदालत में दलील दी कि आरोपी ने वर्ष 2018 में शिकायतकर्ता से केवल 50,000 रुपये उधार लिए थे। उनका कहना था कि यह राशि पहले ही चुका दी गई थी। बचाव पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि शिकायतकर्ता ने उस समय दिए गए एक खाली ‘सुरक्षा चेक’ का दुरुपयोग कर अधिक राशि की मांग की और उसी के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया गया।
अदालत का फैसला
दोनों पक्षों की दलीलें और सबूतों पर गौर करने के बाद अदालत ने बचाव पक्ष की दलीलों को स्वीकार नहीं किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी ने शिकायतकर्ता को उसके वैध धन से वंचित किया और उसे गंभीर वित्तीय नुकसान पहुंचाया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि चेक बाउंस जैसे मामलों में सख्ती जरूरी है, ताकि वित्तीय लेन-देन में भरोसा बना रहे।
अदालत के इस फैसले को चेक बाउंस मामलों में एक अहम उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है, जो यह संदेश देता है कि कानून के सामने राजनीतिक पद या प्रभाव कोई मायने नहीं रखता।