महेंद्र जुनेजा: मैं हूं आपका अपना जयपुर शहर, परकोटा। कभी गुलाबी नगरी के गर्व की पहचान, मैं आज आपसे अपनी व्यथा कहने आया हूं। मेरी दीवारों ने इतिहास के अनगिनत पन्ने देखे हैं, मेरी गलियों ने संस्कृति और विरासत को संभाला है। लेकिन आज मेरा हृदय भारी है, क्योंकि मैं अपने ही लोगों के बीच घुटन महसूस कर रहा हूं।
मेरी गलियां, जो कभी स्वच्छता और सुंदरता का प्रतीक थीं, अब गंदगी से भरी रहती हैं। मेरी सड़कों पर अतिक्रमण का बोझ है, जो मुझे हर दिन और कमजोर कर रहा है। पार्किंग की अव्यवस्था ने मेरी खुली सांसों को रोक दिया है। मेरी दीवारें और गलियां आज जैसे मुझसे शिकायत कर रही हैं। मुझे दुख है कि मैं आप सभी को वह सुख-सुविधाएं नहीं दे पा रहा, जो मैं देना चाहता हूं। लेकिन यह सब मेरी तकदीर नहीं होनी चाहिए। मैं जानता हूं, आप सभी में वह शक्ति और प्रेम है जो मुझे फिर से नया जीवन दे सकता है।
मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूं आप इन समस्याओं को हल करने के लिए कदम बढ़ाएं।
मेरी सफाई के लिए छोटे-छोटे प्रयास करें।

अतिक्रमण हटाने और मेरी सड़कों को खुला रखने में मदद करें।
पार्किंग की व्यवस्था को सुधारे और शहर को यातयात मुक्त बनाने का सपना साकार करने का प्रयास करें।

मैं वादा करता हूं, जब आप मेरे लिए खड़े होंगे, मैं फिर से आपकी शान और सम्मान बनकर खड़ा रहूंगा। मेरी खामोश दीवारें फिर से मुस्कुराएंगी, और मेरी गलियां फिर से गुलजार होंगी।
महेंद्र जुनेजा अभियान
जयपुर राजस्थान
जयपुर की जनता के नाम खुला पत्र
आपका अपना,
जयपुर (गुलाबी नगरी)