जयपुर न्यूज डेस्क: जयपुर के किसान सुरेश कुमावत ने रासायनिक खेती को छोड़कर पूरी तरह जैविक पद्धति अपनाई और नींबू की खेती में शानदार उत्पादन हासिल किया। सुरेश ने मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और पौधों को रोग प्रतिरोधक बनाने के लिए प्राकृतिक उपाय अपनाए। उनका कहना है कि कुछ साल पहले मिट्टी कमजोर हो गई थी और पौधों का उत्पादन घट गया था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाया।
सुरेश ने यूरिया और अन्य रासायनिक उर्वरक बंद कर भट्टे का चूना पानी में घोलकर सिंचाई के जरिए मिट्टी में डालना शुरू किया। इसके अलावा उन्होंने 20 दिन तक हिलाकर तैयार होने वाला स्वनिर्मित जैविक मिश्रण इस्तेमाल किया, जिसमें गोमूत्र, देसी गाय का गोबर, गुड़, बेसन, बरगद और पीपल की मिट्टी, नीम के पत्ते, आकड़ा, फूल के हिस्से, प्याज़ के छिलके और तंबाकू की पत्ती शामिल हैं। इस मिश्रण से नींबू के पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी और फल बड़े, रसदार व टिकाऊ बने।
सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम का उपयोग करने से पानी की बचत होती है और पौधों को सीधे जड़ों तक पानी मिलता है। जैविक तरीके से उगाए नींबू का बाजार में मूल्य अधिक है और व्यापारी सीधे उनके खेत से खरीदते हैं। सुरेश का कहना है कि जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है बल्कि उत्पादन और आमदनी दोनों बढ़ा देती है।