जयपुर न्यूज डेस्क: जयपुर की तंग गलियों और ऐतिहासिक मोहल्लों में अब विरासत के नाम पर खतरनाक ढांचों का खतरा मंडरा रहा है। नगर निगम ने आखिरकार उन इमारतों को गिराने की मुहिम तेज कर दी है जो कभी भी भरभराकर ढह सकती हैं। सोमवार सुबह चांदपोल, त्रिपोलिया और मानसरोवर जैसे इलाकों में बुलडोजर की गड़गड़ाहट के बीच कार्रवाई शुरू हुई। नगर निगम ने कुल 126 जर्जर भवन चिह्नित किए हैं, जिनमें 48 को बेहद खतरनाक बताया गया है। इनमें से 8 पहले ही सील हो चुके हैं और बाकी पर तेजी से ध्वस्तीकरण चल रहा है।
हेरिटेज जोन के मनिहारी और खेजड़ों के रास्ते जैसे पुराने मोहल्लों में कई पीढ़ियों से किराए पर रह रहे लोग अब खंडहर बन चुके घरों में जिंदगी गुजार रहे हैं। वार्ड 72 में एक इमारत को आंशिक रूप से गिराकर सील किया गया, वहीं त्रिपोलिया की नाटाणीयों की हवेली में भी बुलडोजर चला। ग्रेटर नगर निगम ने मानसरोवर के टैगोर पथ पर भी एक मकान को ढहा दिया। सबसे बड़ा खतरा किशनपोल जोन में है, जहां 65 जर्जर भवन मिले हैं, जिनमें 6 को "बेहद खतरनाक" घोषित किया गया है।
हेरिटेज आयुक्त डॉ. निधि पटेल ने पूरे अभियान की निगरानी के लिए विशेष टीम बना दी है। यह टीम भवनों की फिजिकल वेरिफिकेशन कर रही है ताकि मरम्मत के नाम पर लीपापोती न हो सके। आरपीएस पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ के अनुसार, कई जगह किराएदार दशकों से रह रहे हैं और मकान मालिक मरम्मत या खाली कराने को तैयार नहीं। ऐसे में प्रशासन ने अब सख्ती दिखाते हुए सीलिंग और ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया है।
नगर निगम हर साल इन भवनों की लिस्ट बनाता है, लेकिन इस बार मानसून का खतरा और पिछले हादसों के सबक ने कार्रवाई को मजबूरी बना दिया है। किशनपोल से हवामहल और सिविल लाइन तक, हर जोन में नगर निगम की टीमें फील्ड में उतर चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन जर्जर इमारतों में रहना अब मौत को दावत देने जैसा है, इसलिए समय रहते कार्रवाई जरूरी है।