जयपुर न्यूज डेस्क: जयपुर की ऐतिहासिक विरासत के साथ-साथ यहां के लोक कलाकार भी अपनी अनूठी कला के लिए पहचाने जाते हैं। इन्हीं कलाकारों में एक नाम है गणेश लाल महावर का, जो खास तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट 'बॉउल' को बजाने में माहिर हैं। वर्षों से यह वाद्ययंत्र बजा रहे गणेश, राजस्थान के कई सांस्कृतिक आयोजनों में अपने हुनर से लोगों को मंत्रमुग्ध कर चुके हैं। उनका अंदाज इतना अनोखा होता है कि दर्शक न केवल मंत्रमुग्ध हो जाते हैं बल्कि अक्सर वीडियो बनाकर उसे शेयर भी करते हैं।
गणेश बताते हैं कि यह वाद्ययंत्र दिखने में तो सिंपल लगता है, लेकिन इसकी धुन बहुत ही अलग और सुकून देने वाली होती है। इसे चीनी मिट्टी की कटोरियों से तैयार किया जाता है, जिन्हें पानी से भरकर बजाया जाता है। इसी को संगीत की दुनिया में ‘जलतरंग’ कहा जाता है। इन कटोरियों का साइज और उनमें भरे पानी की मात्रा के आधार पर अलग-अलग सुर निकलते हैं। लकड़ी की अलग-अलग स्टिक्स के इस्तेमाल से ये धुन और भी आकर्षक हो जाती है। जब यह वाद्ययंत्र तबले के साथ ताल मिलाता है, तो उसका असर दर्शकों पर जादू जैसा होता है।
गणेश महावर का कहना है कि बॉउल इंस्ट्रूमेंट सीखना मुश्किल नहीं है, बस जरूरत है थोड़ी मेहनत और लगन की। किसी महंगे वाद्ययंत्र की जरूरत नहीं पड़ती—सिर्फ कुछ कटोरियां और स्टिक लेकर कोई भी इस कला को सीख सकता है। गणेश चाहते हैं कि यह कला सीमित न रहे, बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे अपनाएं और आगे बढ़ाएं। वह समय-समय पर कार्यशालाओं के ज़रिए इस कला को सिखाते भी हैं और मानते हैं कि यह राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को और मजबूती देने का एक जरिया है।