जयपुर न्यूज डेस्क: जयपुर के रामगढ़ बांध पर ड्रोन के जरिए कृत्रिम बारिश का रुका हुआ ट्रायल अब फिर से शुरू होगा। सिविल एविएशन निदेशालय ने ड्रोन को 10,000 फीट तक उड़ाने की सशर्त अनुमति दी है। इससे पहले केवल 400 फीट की ऊंचाई तक ड्रोन उड़ाने की मंजूरी थी। नई मंजूरी 30 सितंबर तक मान्य होगी और जयपुर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से अनुमति मिलने के बाद ही ट्रायल हो सकेगा। मानसून का समय अब करीब 25 दिन ही बचा है, जिससे ट्रायल करने वाली कंपनी के लिए चुनौती बढ़ गई है।
रामगढ़ बांध पर निजी कंपनी जेन एक्स एआई, अमेरिकी कंपनी एस्सल इंक. के सहयोग से क्लाउड सीडिंग तकनीक के जरिए बारिश करवाने का प्रयास कर रही है। 12 अगस्त को पहले हुए ट्रायल में ड्रोन केवल 400 फीट तक ही उड़ सका था और बादल बहुत ऊंचे होने के कारण ट्रायल फेल हो गया था। आमतौर पर बारिश वाले बादल 2,000 से 20,000 फीट की ऊंचाई पर होते हैं, इसलिए अधिक ऊंचाई की अनुमति की आवश्यकता पड़ी।
कृत्रिम बारिश के लिए नमी वाले बादलों पर सोडियम क्लोराइड, सिल्वर आयोडाइड या सॉलिड कार्बन डाईऑक्साइड जैसे केमिकल का छिड़काव किया जाता है। ये केमिकल बादलों में मिलकर नमी को भारी बूंदों में बदलते हैं, जिससे बारिश होती है। रामगढ़ ट्रायल में ड्रोन से सोडियम क्लोराइड का छिड़काव सीमित इलाके में किया जाएगा। यह पहली बार है जब ड्रोन के माध्यम से एआई कंट्रोल्ड क्लाउड सीडिंग ट्रायल किया जा रहा है।
पिछले ट्रायल के दौरान हजारों लोग और कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा भी मौजूद थे। ड्रोन को केवल 400 फीट तक उड़ाने की अनुमति होने के कारण नमी वाले ऊंचे बादलों तक पहुंच नहीं सकी, और इसलिए कृत्रिम बारिश नहीं हो पाई। अब कंपनी तैयार है कि नई मंजूरी के साथ ट्रायल को सफल बनाया जाए।