जयपुर न्यूज डेस्क: राज्य सरकार ने नई टाउनशिप पॉलिसी के ड्राफ्ट को कैबिनेट के सामने पेश करने का फैसला किया है। खास बात यह है कि इस बार पॉलिसी में ऐसा प्रावधान जोड़ा जा रहा है जिससे भविष्य में किसी भी बदलाव का निर्णय नगरीय विकास विभाग नहीं बल्कि सीधे मुख्यमंत्री ले सकेंगे। यानी आगे चलकर कैबिनेट की मंजूरी या विभागीय स्तर पर बदलाव की जरूरत नहीं होगी, सभी संशोधन का अधिकार मुख्यमंत्री के पास होगा।
इस नई नीति में कई बड़े बदलाव किए जा रहे हैं, जिसकी आधिकारिक जानकारी भी कैबिनेट को दी जाएगी। पॉलिसी ड्राफ्ट में कई शुल्कों में डेढ़ से दोगुनी तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। अधिकारियों का कहना है कि ये बढ़ोतरी लगभग 15 साल बाद हो रही है, क्योंकि 2010 के बाद से शुल्कों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया था।
हालांकि डवलपर्स इस शुल्क वृद्धि को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि इसका सीधा असर जमीन खरीदने वाले आम लोगों पर पड़ेगा, क्योंकि अतिरिक्त खर्च को भू-खंड की कीमत में जोड़ा जाएगा। प्रमुख शुल्कों में ले-आउट स्वीकृति शुल्क, लीज राशि, इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज, स्टॉम्प ड्यूटी और सबडिवीजन शुल्क शामिल हैं।
इसके अलावा पॉलिसी के कुछ प्रावधानों ने डवलपर्स के बीच खलबली मचा दी है। अब टाउनशिप के निर्माण के बाद 7 साल तक मेंटीनेंस की जिम्मेदारी डवलपर की होगी और इस दौरान वह 2.5 फीसदी भूखंड नहीं बेच सकेगा। साथ ही छोटे और बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए एक जैसे मानक लागू होंगे, जबकि पहले छोटे टाउनशिप को थोड़ी रियायत मिलती थी। नई योजनाओं में आमजन के लिए ज्यादा पार्क और जनसुविधाएं देने का भी प्रावधान रखा गया है।