नव संवत्सर पर 15 घोष के साथ जयपुर में पहली बार निकला आरएसएस का पथ संचलन

Photo Source : Self

Posted On:Monday, March 31, 2025

जयपुर - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वर्ष प्रतिपदा के अवसर पर जयपुर महानगर के ऋषि गालव भाग की ओर से पथ संचलन का आयोजन किया गया। जिसमें करीब 4500 से ज्यादा स्वयंसेवकों ने भाग लिया। स्वयंसेवक घोष (संघ का बैंड) की स्वरलहरियों पर कदमताल करते हुए शहर के विभिन्न मार्गों से निकले। जहां समाज के लोगों ने पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया। इससे पहले महाराजा कॉलेज में हुए कार्यक्रम में क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम ने संघ के शताब्दी वर्ष में हर घर तक पहुंचाने का आह्वान किया। साथ ही राजस्थान दिवस को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनाने में संघ के योगदान पर प्रकाश डाला। इस दौरान साल में एक बार होने वाला आद्य सरसंचालक प्रणाम भी किया गया।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से मनाए जाने वाले छह प्रमुख उत्सवों में से एक वर्ष प्रतिपदा पर शहर में पथ संचलन निकाला गया। इस पथ संचलन में हजारों स्वयंसेवक अनुशासित रूप से शामिल हुए और अपने प्रदर्शन के माध्यम से एकता और अखंडता का संदेश दिया। स्वयंसेवकों के इस पथ संचलन का विभिन्न मोहल्ला विकास समितियों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने उनका गर्मजोशी से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। संचलन का पहला छोर जब छोटी चौपड़ तक जा पहुंचा तब तक आखिरी छोर महाराजा कॉलेज में ही था। ये विशाल पथ संचलन महाराजा कॉलेज से निकलते हुए संचलन अजमेरी गेट, छोटी चौपड़, त्रिपोलिया गेट, बड़ी चोपड़, सांगानेरी गेट, मोती डूंगरी रोड होते हुए रामनिवास बाग से दोबारा महाराजा कॉलेज पहुंचा।

घोष वादन एवं अनुशासनबद्ध कदमताल :
संघ के स्वयंसेवकों ने घोष वादन के माध्यम से अनुशासन का अद्भुत प्रदर्शन किया। स्वयंसेवकों ने विभिन्न वाद्य यंत्रों जैसे आनक (साइड ड्रम), त्रिभुज (ट्रायंगल), वंशी (बांसुरी), शंख (बिगुल) और प्रणव (बॉस ड्रम) के माध्यम से संगीत रचनाओं का वादन किया। घोष की लयबद्ध ध्वनि पर स्वयंसेवक अनुशासनबद्ध रूप से कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़े। इस दौरान किरण, उदय, श्रीराम और सोनभद्र जैसी प्रसिद्ध घोष रचनाओं का वादन किया गया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर रहा पंच परिवर्तन की बात :
इससे पहले जयपुर के महाराजा कॉलेज ग्राउंड पर मुख्य समारोह हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र प्रचारक निंबाराम ने कहा कि आज संघ से नए युवक और बच्चे जुड़ रहे हैं। समाज में ये मान्यता है कि स्वयंसेवक देशभक्त होता है। कोरोना महामारी के दौरान स्वयंसेवकों ने निःस्वार्थ सेवा कर ये साबित किया। उन्होंने कहा कि हम अंग्रेजी नववर्ष से कहीं आगे हैं और अब हिन्दू नववर्ष उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा है। इस दौरान उन्होंने राजस्थान दिवस को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनाया जाने के पीछे तर्क देते हुए कहा कि राजस्थान दिवस की तिथि भी शुभ मुहूर्त देखकर तय की गई थी और आगे इसे तिथि अनुसार ही इसे मनाया जाएगा। इसे लेकर उन्होंने संघ की भूमिका को भी स्पष्ट किया। साथ ही बताया कि पिछले 3 साल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नेतृत्व ने पंच परिवर्तन की बात की है। जो अपने घर और परिवार में शुरू होना चाहिए। उसमें कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, स्व का बोध और नागरिक कर्तव्य शामिल है। वहींआने वाली विजयदशमी के बाद स्वयंसेवक समाज में जाएंगे। हर घर तक संपर्क करेंगे और संघ के कार्य हो समाज के बीच रखेंगे।

शताब्दी वर्ष में हर घर तक करेंगे संपर्क :
वहीं इस दौरान मौजूद रहे राजस्थान क्षेत्र के संघ चालक का डॉक्टर रमेश अग्रवाल ने कहा कि जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ये आयोजन केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि इसका उद्देश्य समाज में राष्ट्रभक्ति, अनुशासन, समर्पण और सेवा की भावना को जाग्रत करना है। स्वयंसेवकों में कदम से कदम जब मिलते हैं तो मन से मन मिलते हैं। इस तरह से संगठन और अनुशासन का भाव जागृत होता है और संपूर्ण समाज में भी वीर भाव पैदा होता है। उन्होंने बताया कि आने वाली विजयदशमी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना को 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। उसे ध्यान में रखते हुए पंच परिवर्तन को लेकर समाज से निवेदन करेंगे। वहीं वर्ष भर के कार्यक्रमों में संघ का जय जयकार नहीं होगा, बल्कि पंच परिवर्तन की बातों को पुष्ट करने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम होंगे। उनमें से एक कार्यक्रम गृह संपर्क भी है। जिसके तहत अपनी शाखा के क्षेत्र के हर परिवार में जाकर संघ की यात्रा और संघ की समाज को साथ लेकर चलने की योजना को लेकर संपर्क करेंगे।

बाईट - निंबाराम, क्षेत्रीय प्रचारक, राजस्थान क्षेत्र
बाईट - डॉ. रमेश अग्रवाल, क्षेत्रीय संघचालक, राजस्थान क्षेत्र

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में जगद्गुरू आश्रम जयपुर के महंत स्वामी अक्षयानंद महाराज मौजूद रहे। यहां मंच से उन्होंने कहा कि आज का दिन बेहद पवित्र है। स्वयंसेवक समाज को देने वाले होते हैं, उनका उद्देश्य 'मैं' नहीं, पूरा समाज है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में ‘क्रांतदर्शी’ शब्द का उल्लेख आता है, जिसका अर्थ है, जो तीनों कालों को देख सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक ऐसे ही क्रांतदर्शी थे। कार्यक्रम में जयपुर सांसद मंजू शर्मा, विधायक बालमुकुंद आचार्य सहित संत-महंत और राजनीतिज्ञों ने भी शिरकत की।


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