जयपुर न्यूज डेस्क !!! सावन का महीना व्रत और त्योहारों के लिहाज से बहुत खास होता है और इस महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। यह त्यौहार महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना से व्रत रखती हैं। वहीं कुंवारी लड़कियां माता पार्वती से अच्छे वर की कामना करती हैं।
कुछ इलाकों में हरियाली तीज का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और वहां महिलाएं सजती-संवरती हैं और झूला झूलती हैं। साथ ही वह अपनी मां से सिंधारे का आनंद लेती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले हरी तीज किसने मनाई थी?
सबसे पहले हरी तीज व्रत किसने रखा था?
हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार के पीछे एक पौराणिक कहानी होती है और उसी तरह हरियाली तीज से भी एक प्रचलित कहानी जुड़ी हुई है। जिससे यह पता चलता है कि हरियाली तीज का व्रत सबसे पहले किसने रखा था? पौराणिक कथाओं के अनुसार, हरियाली तीज व्रत सबसे पहले राजा हिमालय की पुत्री पार्वती ने रखा था और इस व्रत के फलस्वरूप उन्हें भगवान शिव पति के रूप में प्राप्त हुए। इसलिए कुंवारी लड़कियां भी अच्छे जीवनसाथी के लिए व्रत रखती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। हर महिला की चाहत होती है कि भगवान शिव और माता पार्वती की जोड़ी के रूप में उनके वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहें। जिस प्रकार माता पार्वती ने हरियाली तीज का व्रत करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया, उसी प्रकार हर स्त्री को उसका मनचाहा पति मिलता है।
जानिए हरियाली तीज का महत्व
कुछ स्थानों पर हरी तीज व्रत रखने की भी परंपरा है और यह व्रत विवाहित महिलाएं करती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। पूजा के दौरान मां पार्वती को शुभ वस्तुएं अर्पित की जाती हैं जिनमें हरी चूड़ियां, हरी साड़ी, मेहंदी, बिंदी और आलता शामिल हैं। पूजा के बाद व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए. हरियाली तीज के दिन घरों में उत्सव मनाया जाता है, घरों में पकवान बनाये जाते हैं। इस दिन झूला झूलने की परंपरा है और महिलाएं एकत्रित होकर मौज-मस्ती करती हैं।