जिले के आमेट निवासी एक परिवार ने जिला कलक्टर से इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है। पीड़ित परिवार के 7 सदस्यों ने सूदखोरों पर जबरन वसूली और प्रताड़ित करने, परिवार की महिलाओं को जबरन उठा ले जाने की धमकी देने और पुश्तैनी मकान अपने नाम करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया है. पीड़ित पक्ष ने इस मामले में आमेट पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं. हालांकि, जिलाधिकारी ने पीड़िता की शिकायत पर जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है. जानकारी के अनुसार मृतक बाबूलाल सैनी का बेटा रोशनलाल सैनी अपनी मां, पत्नी, दो भाई और भाभी के साथ आमेट बस स्टैंड पर रेहड़ी लगाकर नमकीन बनाने का पारंपरिक व्यवसाय करता है और सप्लाई भी करता है.
पीड़ित रोशन लाल ने बचत के लिए आमेट में संचालित वीसी का सदस्य बनकर अपनी मेहनत की कमाई जमा कर समिति में हिस्सेदारी ली थी। उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई वहां जमा करना शुरू कर दिया. इस वीसी के सदस्य जरूरतमंदों को ऊंची ब्याज दरों पर पैसा उपलब्ध कराते हैं। वीसी के निदेशकों ने रोशन लाल के नाम पर किसी और को ब्याज पर पैसा दिया और जब वहां से पैसा नहीं आया तो उन्होंने रोशन लाल को धमकी देकर पैसे वसूलना शुरू कर दिया।
डर के मारे शहर छोड़ दिया
आरोपी पैसे न देने पर रोशनलाल के पुश्तैनी मकान पर कब्जा करने और उसकी व उसके भाइयों की पत्नियों को अपने साथ ले जाने की धमकी दे रहे थे। इस डर और दबाव के कारण रोशनलाल की मानसिक स्थिति ख़राब हो गई जिसके कारण उन्होंने अपनी पत्नी के साथ शहर छोड़ दिया और कहीं और रहने लगे। रोशन के भाई विक्रम ने बताया कि उन्होंने थाने में भी शिकायत की, लेकिन पुलिस से कोई मदद नहीं मिली. दूसरी ओर, विक्रम सैनी ने पुलिस पर डराने-धमकाने और शहर छोड़ने का दबाव बनाने का आरोप लगाया। पीड़ित परिवार की गुहार सुनकर जिलाधिकारी ने तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
सूदखोरों के खिलाफ पुलिस चला रही अभियान
गौरतलब है कि राजस्थान में हर साल सूदखोरी से जुड़े हजारों मामले सामने आते हैं. राज्य भर में साहूकारों द्वारा उत्पीड़न के कारण आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए राजस्थान पुलिस द्वारा इस साल की शुरुआत में यह अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के तहत पुलिस ने थाना स्तर पर सूदखोरों को चिन्हित कर बिना लाइसेंस के सूदखोरी का कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी.