जयपुर न्यूज डेस्क: राजस्थान के झालावाड़ जिले के अंता विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी खतरे में पड़ गई है। करीब दो दशक पुराने एक मामले में हाईकोर्ट ने मीणा को तीन साल की सजा देने के निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले जनप्रतिनिधि की सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जाती है, ऐसे में अब उनकी विधायकी पर ग्रहण लग गया है।
मामला साल 2005 में हुए एक उपचुनाव से जुड़ा है, जब मीणा पर सरकारी काम में बाधा डालने, अधिकारियों को धमकाने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे थे। 14 दिसंबर 2020 को झालावाड़ की एडीजे अकलेरा कोर्ट ने उन्हें दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। विधायक ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन अब कोर्ट ने उनकी निगरानी याचिका खारिज कर दी है और निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि एक जनप्रतिनिधि होने के नाते याचिकाकर्ता से यह अपेक्षा की जाती थी कि वह कानून व्यवस्था को बनाए रखने में सहयोग करेगा, न कि उसे बिगाड़ेगा। कोर्ट के अनुसार, मीणा ने उस समय एसडीएम को जान से मारने की धमकी दी, कैमरे की कैसेट जलाई, और एक प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी का कैमरा छीन लिया था। कोर्ट ने यह भी बताया कि मीणा के खिलाफ पूर्व में 15 आपराधिक मामले दर्ज रह चुके हैं, जिससे उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
मामले में तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता की शिकायत पर केस दर्ज हुआ था। उनके अनुसार तीन जनवरी 2005 को उपसरपंच चुनाव में दोबारा वोटिंग की मांग को लेकर गांववालों ने रास्ता रोका था। मीणा वहां पहुंचे और उन्होंने धमकी भरे अंदाज़ में अधिकारियों पर दबाव बनाया। पुलिस और अन्य अधिकारी मौके पर मौजूद थे लेकिन किसी ने हस्तक्षेप करने का साहस नहीं किया। मामला दर्ज तो हुआ, लेकिन पुलिस ने काफी देरी से कार्रवाई की, जो उनकी निष्क्रियता को दर्शाता है।
वहीं विधायक के वकील मनीष गुप्ता का कहना है कि यह पूरा मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है। उन्होंने दावा किया कि अधिकतर गवाह अपने बयान से मुकर गए थे और पुलिस अधिकारियों ने मौके पर कोई शिकायत नहीं की थी। उन्होंने यह भी बताया कि ट्रायल कोर्ट ने पहले मीणा को दोषमुक्त करार दिया था, लेकिन बाद में अपील कोर्ट ने सजा सुना दी। हाईकोर्ट ने अब मीणा को तुरंत ट्रायल कोर्ट में समर्पण करने को कहा है और चेतावनी दी है कि ऐसा न करने पर गैर जमानती वारंट जारी किया जाएगा। साथ ही 30 दिन में इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया है।