जयपुर न्यूज डेस्क: राजस्थान में जीएसटी चोरी के 700 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में आरोपी घासी लाल चौधरी को जयपुर की विशेष आर्थिक अपराध अदालत से जमानत मिल गई है। इससे पहले, जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI) ने राज्य के 15 स्थानों पर छापेमारी कर बड़े पैमाने पर कर चोरी के सबूत जुटाए थे। इन छापों में भीलवाड़ा, जयपुर, उदयपुर और सीकर सहित कई जिलों से दस्तावेज जब्त किए गए, जिनमें बिना टैक्स चुकाए 13 लाख टन लोहे और स्टील की आपूर्ति से जुड़े रिकॉर्ड शामिल थे। इस घोटाले की जांच में सात लोगों को 19 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें घासी लाल चौधरी, केसरदेव शर्मा और स्क्रैप डीलर अरुण जिंदल प्रमुख थे।
अदालत में घासी लाल चौधरी के वकील सुमित गहलोत ने उनके खिलाफ लगे आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि उनके मुवक्किल के कार्यालय और घर की तलाशी के दौरान कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। गहलोत ने यह भी तर्क दिया कि DGGI के पास यह साबित करने का कोई आधार नहीं है कि घासी लाल का इस घोटाले के मुख्य आरोपियों महावीर ट्रेडिंग, रमजान सराजुद्दीन शाह, मनोज विजय, नवीन यादव और राजीव यादव से कोई सीधा संबंध है। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल का इन फर्मों में कोई हिस्सा नहीं है और न ही वह इनमें निदेशक या भागीदार हैं।
वकील ने आगे बताया कि अभियोजन पक्ष का पूरा मामला एक कथित एक्सेल शीट पर आधारित है, जो सितंबर 2023 से फरवरी 2025 के बीच के लेन-देन को दर्शाती है। हालांकि, इस एक्सेल शीट का कोई प्रमाणिक स्रोत नहीं है और यह किसी अज्ञात मुखबिर से प्राप्त होने की बात कही गई है। इसके अलावा, मुख्य आरोपी से बरामद दस्तावेजों में घासी लाल और अन्य आरोपियों के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध स्थापित नहीं होता है। वकील का कहना था कि यह पूरा मामला सिर्फ अनुमानों और धारणाओं पर आधारित है, और जीएसटी अधिनियम की धारा 132 के तहत कोई ठोस अपराध बनता ही नहीं है।
हालांकि, DGGI जयपुर का दावा है कि यह जीएसटी चोरी का नेटवर्क सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं है, बल्कि हरियाणा और पंजाब तक फैला हुआ है। एजेंसी को शक है कि आरोपी लोहे और इस्पात उत्पादों की आपूर्ति के लिए फर्जी कंपनियों का उपयोग कर रहे थे और कर नियमों से बचने के लिए अलग-अलग राज्यों में अपना संचालन चला रहे थे। मामले की जांच अभी भी जारी है, और अन्य संदिग्ध व्यक्तियों पर भी नजर रखी जा रही है।