जयपुर न्यूज डेस्क: जैसलमेर और जयपुर में हुए दो बड़े सड़क हादसों के बाद अब परिवहन विभाग सख्त एक्शन में आ गया है। विभाग ने नियमों का उल्लंघन कर चल रही बसों के खिलाफ राज्यभर में कार्रवाई शुरू कर दी है। बीते दो दिनों में 100 से ज्यादा बसों का निरीक्षण किया गया, जिनमें कई प्राइवेट और स्लीपर बसों के चालान काटे गए, जबकि कुछ को जब्त भी कर लिया गया। इस कार्रवाई के विरोध में निजी बस ऑपरेटरों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए चक्का जाम शुरू कर दिया है। फिलहाल तीन जिलों में स्लीपर बसों का संचालन पूरी तरह बंद है, जबकि जयपुर, उदयपुर और भीलवाड़ा में हड़ताल पर फैसला शुक्रवार शाम तक लिया जाएगा।
जानकारी के अनुसार, राज्यभर में 7,000 से अधिक स्लीपर बसों के पहिए थम गए हैं। बस ऑपरेटरों का आरोप है कि आरटीओ अधिकारी मनमानी कर रहे हैं — बिना कारण चालान काटे जा रहे हैं और रास्ते में यात्रियों को उतारकर बसें सीज की जा रही हैं। उनका कहना है कि हादसों के बाद विभाग ने लूट का मौका बना लिया है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है। कोटा, जोधपुर, बीकानेर, भरतपुर, नागौर और अजमेर जैसे बड़े शहरों में हजारों लोग फंसे हुए हैं।
हड़ताल का असर यात्रियों पर भी बुरी तरह पड़ा है। लंबी दूरी की यात्रा के लिए स्लीपर बसें सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती हैं, लेकिन अब ऑनलाइन बुकिंग पूरी तरह रोक दी गई है। कई यात्रियों को जयपुर और अन्य शहरों के लिए अपनी यात्रा बीच में ही रद्द करनी पड़ी। वहीं जयपुर, उदयपुर और भीलवाड़ा में बस ऑपरेटरों की बैठक के बाद यह तय किया जाएगा कि आंदोलन को और आगे बढ़ाया जाए या नहीं।
बस ऑपरेटरों ने सवाल उठाया है कि कार्रवाई सिर्फ प्राइवेट बसों पर ही क्यों हो रही है। ऑल राजस्थान कांट्रैक्ट कैरिज बस ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने कहा कि रोडवेज की कई एसी और वॉल्वो बसों में भी सुरक्षा नियमों की अनदेखी होती है, लेकिन उन पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा। उन्होंने मांग की है कि स्लीपर बस ऑपरेटरों को सुधार के लिए कम से कम दो से तीन महीने का समय दिया जाए ताकि वे सभी आवश्यक बदलाव कर सकें।