Fact Check: दादा के शव के ऊपर बैठ रो रहा मासूम, साल 2020 का वीडियो पहलगाम का बताकर वायरल

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Posted On:Friday, April 25, 2025

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बैसरन पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में कम से कम 26 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह घटना भारत के लिए एक और दर्दनाक स्मृति बन गई, जिसे ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ के नाम से जाना जाने वाला इलाका भी सह नहीं सका। इस हमले के बाद सोशल मीडिया पर एक बेहद मार्मिक वीडियो तेजी से वायरल होने लगा, जिसमें एक मासूम बच्चा अपने मृत दादा के शव पर बैठा दिखाई दे रहा है।

वायरल हुआ भावनात्मक वीडियो

वीडियो में देखा जा सकता है कि एक छोटा बच्चा एक शव के ऊपर बैठा है और भय और भ्रम की स्थिति में है। वीडियो के दूसरे हिस्से में यही बच्चा एक कार के अंदर नजर आता है, जिसकी कमीज खून से सनी हुई है। एक महिला उसे बिस्किट और चॉकलेट देकर चुप कराने की कोशिश कर रही है। सोशल मीडिया पर यह वीडियो लोगों की भावनाओं को गहराई से झकझोर गया।

गलत संदर्भ में किया गया वायरल

कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस वीडियो को पहलगाम आतंकी हमले से जोड़कर प्रस्तुत किया। कुछ लोगों ने दावा किया कि इस मासूम बच्चे के सामने उसके दादा को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वे हिंदू थे। एक यूजर ने लिखा, “इस बच्चे की एकमात्र गलती यह थी कि वह हिंदू है। इसके सामने इसके दादा को गोली मार दी गई।”

फैक्ट चेक में निकला सच

जब इस वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए इसकी पड़ताल की गई, तो सामने आया कि यह वीडियो हाल का नहीं है, बल्कि साल 2020 का है। वीडियो के कीफ्रेम्स को गूगल लेंस की मदद से रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 1 जुलाई 2020 की नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट मिली।

उस रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना सोपोर (कश्मीर) की है। 1 जुलाई 2020 को आतंकियों ने सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर हमला किया था। इस हमले में एक जवान शहीद हुआ और साथ ही एक आम नागरिक बशीर अहमद खान की भी मौत हो गई थी। बशीर खान अपने पोते के साथ कहीं जा रहे थे, तभी उनकी गाड़ी गोलीबारी के बीच में आ गई। उन्हें गोली लगी और घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई। बच्चा, जिसे वीडियो में देखा गया है, बशीर खान का पोता था।

भ्रामक दावे से बचें

इस भावनात्मक दृश्य को गलत जानकारी के साथ जोड़कर लोगों को गुमराह किया गया। हिंदुस्तान टाइम्स के यूट्यूब चैनल पर भी इस घटना का वास्तविक वीडियो मौजूद है, जिसमें साफ तौर पर यह पूरी घटना 2020 की बताई गई है और इसका हालिया पहलगाम हमले से कोई संबंध नहीं है।

निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर फैले झूठ से सतर्क रहें

यह मामला एक बार फिर से दर्शाता है कि सोशल मीडिया पर भावनात्मक सामग्री को गलत संदर्भ में फैलाना कितना खतरनाक हो सकता है। वायरल हो रहा यह वीडियो सोपोर 2020 की घटना से जुड़ा है, न कि पहलगाम 2025 के आतंकी हमले से। आम जनता से अपील है कि सोशल मीडिया पर किसी भी वीडियो या जानकारी को साझा करने से पहले उसकी सच्चाई की जांच अवश्य करें, ताकि भ्रामक सूचनाओं से समाज में गलतफहमियां न फैलें।


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