Chhatrapati Shivaji Jayanti 2022: शिवाजी की शौर्य गाथाओं के गवाह हैं ये किले

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Posted On:Saturday, February 19, 2022

आज क्यों खास न्यूज डेस्क !!! अपनी वीरता से ताकतवर मुगल शासकों को घूटने टेकने पर मजबूर करने वाले सम्राट छत्रपति शिवाजी की 391वीं जयंती आज पूरा देश मना रहा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में शिवाजी का जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम शाहजी भोंसले, माता का नाम जीजाबाई था और उनके बड़े भाई संभाजी थे । मुगलों की सेना को मात देकर शिवाजी ने 1670 में सिंहगढ़ के किले पर अपनी जीत का परचम लहराया था । साल 1674 में उन्होंने ही पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी और कई वर्षों तक औरंगजेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया ।
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बताया जाता है कि, शिवाजी बचपन से ही अपने साथियों के साथ मिलकर युद्ध करने और किले जीतने का खेल खेला करते थे और आगे चलकर उनका ये खेल उनका कर्म और जुनून बन गया और फिर वो शत्रुओं पर आक्रमण कर किले जीतने लगे । शिवाजी के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि, शिवाजी ने भारत में पहली बार गुरिल्ला युद्ध की शुरुआत की थी । उनकी इस युद्ध नीति से प्रेरित होकर ही वियतनामियों ने अमेरिका से जंग जीत थी ।
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मुगलों से पहली भिड़ंत

आपको बता दें कि, गुरिल्ला युद्ध एक प्रकार का छापामार युद्ध है । शिवाजी को जमीनी युद्ध में महारत हासिल थी और वो पेशेवर सेना तैयार करने वाले पहले शासक थे । छत्रपति शिवाजी की मुगलों से पहली भिड़ंत साल 1656-57 में हुई थी और तब शिवाजी ने मुगलों की ढरों संपत्ति और सैकड़ों घोड़ों पर अपना कब्जा जमा लिया था । छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाने की शुरुआत साल 1870 में हुई । आपको बता दें कि, महात्मा ज्योतिराव फुले ने पुणे में पहली बार उनकी जयंती को मनाया था ।
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बता दें कि, भारतीय शासकों में शिवाजी पहले ऐसे शासक थे, जिन्होंने नौसेना की अहमियत को समझा था, उन्होंने सिंधुगढ़ और विजयदुर्ग में अपने नौसेना के लिए किले तैयार किए थे । रत्नागिरी में उन्होंने अपने जहाजों की मरम्मत के लिए दुर्ग बनवाया था । राजगद्दी संभालने से पहले शिवाजी को विरासत में सिर्फ दो हजार सैनिकों की सेना मिली थी, मगर उन्होंने इसे 10 हजार सैनिकों की फौज में बदल दिया गया था ।




 


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