आमतौर पर किसी भी दिन के नाम अच्छी और बुरी दोनों ही घटनाएं दर्ज होती हैं, मगर आज हम आपको 23 नवंबर के बारे में बताने जा रहे हैं । ये ऐसी घटनाएं हैं जिन्हें भुलाना आसान नहीं है । आज हम आपको बताने जा रहे हैं 23 नवंबर से जुड़ी ऐसी ही कुछ ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में ।
23 नवंबर की ऐतिहासिक घटनाएं
23 नवंबर 1857 के दिन यानी आज ही के दिन कोलिन कैंपबेल की अगुवाई में अंग्रेजों ने लखनऊ को क्रांतिकारियों के कब्जे से मुक्त कराया था ।
23 नवंबर 1926 के दिन यानी आज ही के दिन आध्यात्मिक गुरू सत्य साईं बाबा का जन्म हुआ था ।
23 नवंबर 1936 के दिन यानी आज ही के दिन फोटो पत्रकारिता में एक अलग पहचान रखने वाली पत्रिका लाइफ का पहला अंक प्रकाशित हुआ था ।
23 नवंबर 1937 के दिन यानी आज ही के दिन देश के जाने माने वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस का निधन हुआ था ।
23 नवंबर 1946 के दिन यानी आज ही के दिन बंदरगाह शहर हेइफोंग पर फ्रांस के नौसैनिक हमले में वियतनाम के 6000 नागरिकों की मौत हुई थी ।
23 नवंबर 1980 के दिन यानी आज ही के दिन इटली में भीषण भूकंप से 2600 लोगों की मौत हो गई थी ।
23 नवंबर 1983 के दिन यानी आज ही के दिन भारत में पहले राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन का आयोजन. यह सम्मेलन राजधानी दिल्ली में आयोजित किया गया था ।
23 नवंबर 1984 के दिन यानी आज ही के दिन लंदन के व्यस्ततम ऑक्सफोर्ड सर्कस स्टेशन पर आग लगने से क़रीब एक हज़ार लोग तीन घंटे तक धुएं से भरी सुरंग में फंसे रहे थे ।
23 नवंबर 1990 के दिन यानी आज ही के दिन ब्रिटेन के प्रसिद्ध लेखक रोल्ड डॉल का इंग्लैंड के ऑक्सफर्ड में निधन हुआ था । डॉल को बच्चों के लिए अद्भुत साहित्य सृजन के लिए जाना जाता है ।
23 नवंबर 1996 के दिन यानी आज ही के दिन इथियोपियाई एयरलाइंस के अदीस अबाबा से नौरोबी जा रहे बोइंग 767 विमान का अपहरण. ईंधन कम होने के कारण विमान हिंद महासागर में गिरा था ।
23 नवंबर 2001 के दिन यानी आज ही के दिन इस्राइल के एक हेलीकाप्टर ने पश्चिमी तट में एक वाहन पर दो मिसाइल दागकर इस्लामी कट्टरपंथी संगठन हमास के प्रमुख सदस्य महमूद अबु हनौद को मार गिराया था ।
23 नवंबर 2002 के दिन यानी आज ही के दिन नाइजीरिया में होने वाली विश्व सुंदरी प्रतियोगिता को वहां की बजाय लंदन में आयोजित करने का फैसला किया गया था ।
23 नवंबर 2011 के दिन यानी आज ही के दिन लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों के चलते यमन के राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह को 33 वर्ष के शासन के बाद इस्तीफा देना पड़ा था ।