मुंबई, 17 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। टाइटैनिक जहाज के मलबे को देखने के लिए लोगों को ले जाने वाली टाइटन पनडुब्बी, पिछले साल एक हादसे का शिकार हो गई थी। यह कैसी डूबी इसे लेकर साउथ कैरोलिना कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हो रही है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक सुनवाई 16 सितंबर को शुरू हुई जो 27 सितंबर तक चलेगी। सुनवाई के पहले दिन अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने टाइटन पनडुब्बी के ब्लास्ट के बाद की पहली तस्वीर शेयर की। इसमें पनडुब्बी का पिछला हिस्सा टूटा हुआ नजर आ रहा है। पनडुब्बी के किनारे उखड़ गए थे, जबकि जहाज का एक फटा हुआ टुकड़ा पास में ही दिखाई दे रहा है।
सुनवाई में पोलर प्रिंस शिप और पनडुब्बी के बीच हुए संपर्क के बारे में जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि डेढ़ घंटे बाद जब टाइटन 3,341 मीटर की गहराई पर था, तब वह शिप को मैसेज भेज पा रहा था। आखिरी मैसेज 10 बजकर 47 मिनट पर भेजा गया था। इसमें कहा गया था कि यहां सब ठीक है। इस दौरान पनडुब्बी पानी में 2 मील नीचे थी। इसके 6 सेकंड के बाद 3,346 मीटर की गहराई पर टाइटन को आखिरी बार पिंग किया गया। इस दौरान टाइटन और जहाज के बीच ऐसा कोई बातचीत नहीं हुई थी, जिससे पनडुब्बी पर किसी इमरजेंसी का पता चलता हो। शिप ने सुबह 10 बजकर 49 मिनट पर पहली बार टाइटन को संदेश भेजा कि संपर्क खत्म हो गया है। इसके बाद से हर दो से तीन मिनट में संदेश भेजे गए लेकिन पनडुब्बी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद 11 बजकर 15 मिनट पर पोलर प्रिंस के मालिक को इसकी जानकारी दी गई।
वहीं, बीते दिनों कोर्ट की सुनवाई में ओशनगेट के पूर्व चीफ इंजीनियर टोनी निसीन ने पहली गवाही दी। उन्होंने कहा कि उन पर पनडुब्बी को गहरे समुद्र में उतारने और इसे चलाने का भारी दबाव था। उन्होंने कहा कि पनडुब्बी में कई समस्याएं थीं। इसके बावजूद इसे गहरे समंदर में ले जाया गया। निसीन ने कहा कि टाइटन की कभी भी थर्ड पार्टी से चेकिंग नहीं करवाई गई। इसलिए उन्होंने इसकी मंजूरी नहीं दी थी। इस वजह से उन्हें 2019 में कंपनी से निकाल दिया गया। निसीन ने कहा कि रश (ओशनगेट कंपनी के CEO) के साथ काम करना मुश्किल हो गया था। वह जो चाहते थे वो करते थे। कोर्ट में दूसरी गवाह ओशनगेट कंपनी की पूर्व CFO बोनी कार्ल थीं। कार्ल ने कहा कि सिक्योरिटी से जुड़ी दिक्कतों की वजह से उसने 2018 में कंपनी छोड़ दिया था।