आखिर क्यों, श्रावण मास में ‘‘नमः शिवाय’’ मंत्र का जाप करना चाहिए, जानिए क्यों हैं शिव पूजा के पांच अक्षर इतने महत्वपूर्ण !

Photo Source :

Posted On:Saturday, July 30, 2022

ज्योतिष न्यूज डेस्क !! शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा के पांच अक्षरों का उल्लेख है। नमः शिवाय में ना, मा, शि, वा और या पांच अक्षर हैं। भगवान शिव को ब्रह्मांड का निर्माता माना जाता है। ब्रह्मांड पांच तत्वों से बना है और उनके साथ चलता है। पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु। शिव के पंचाक्षर मंत्र से ब्रह्मांड के पांच तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है। यह ब्रह्मांड पांच तत्वों द्वारा शासित है। जब इन पांच अक्षरों का एक साथ जप किया जाता है, तो सृष्टि को नियंत्रित किया जा सकता है। इन पांच अक्षरों का रहस्य इस प्रकार जाना जा सकता है-

‘न’ अक्षर का मतलब

नागेंद्रराय त्रिलोचनय भस्मगरगई महेश्वरय्या।
नित्य शुद्धाय दिगंबरय तस्माई न कराय नमः शिवाय।

यानी नागेंद्र। यानी जो नाग धारण करते हैं। हर समय पवित्र रहने का कोई मतलब नहीं है। अर्थ, भगवान शिव को मेरा नमस्कार, जो अपने गले में एक नाग धारण करते हैं और हमेशा शुद्ध रहते हैं। इस अक्षर के प्रयोग से दस दिशाओं में रक्षा होती है। साथ ही यह निडरता देता है।

‘म’ अक्षर का मतलब


मंदकी के सलिल चंदन की चर्चा नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वरई ने की है।
मंदारपुष्पा बहुपुष्पा सुपुजिताय तस्मे मे करे नमः शिवाय।

यानी जो लोग मंदाकिनी यानी 'गंगा' पहनते हैं। इस अक्षर का एक और अर्थ है 'शिव महाकाल'। इस अक्षर का अर्थ महाकाल और महादेव भी है। इस पत्र का उपयोग नदियों, पहाड़ों और फूलों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता था। क्योंकि 'म' अक्षर के भीतर प्रकृति की शक्ति निहित है।

‘श’ अक्षर का मतलब


शिवाय गौरी वदनाबजावृंदा सूर्याय दक्षध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठय वृषभद्जय तस्माई करे नमः शिवाय।

इस श्लोक में शिव का वर्णन है। इसका अर्थ है शिव के द्वारा सत्ता ग्रहण करना। यह सबसे शुभ अक्षर है। यह पत्र जीवन में अपार सुख और शांति लाता है। शिव के साथ-साथ शक्ति की कृपा भी प्राप्त होती है।

‘व’ अक्षर का मतलब


वशिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमरी मुनिन्द्र देवरचित शेखरी।
चंद्रक वैश्वनार लोचनय तस्माई कराय नमः शिवाय।

यानी 'V' अक्षर का संबंध शिव के मस्तक के त्रिनेत्र से है। त्रिनेत्र का अर्थ है शक्ति। साथ ही इस पत्र से शिव के उग्र रूप का भी पता चलता है। इस नेत्र से शिव इस ब्रह्मांड को नियंत्रित करते हैं। इस अक्षर से ग्रहों और नक्षत्रों को नियंत्रित किया जा सकता है।

शिव पंचाक्षर मंत्र का अंतिम अक्षर ‘य’ है। इसके बारे में कहा गया है-


यक्षस्वरुपय जटाधरय पिनाकस्तय सनातनय।
दिव्य देवाय दिगंबरय तस्माई करे नमः शिवाय।

इसका अर्थ है कि भगवान शिव आदि और शाश्वत हैं। जब सृष्टि नहीं थी तब शिव थे, जब सृष्टि है तो शिव हैं और जब सृष्टि नहीं है तो शिव होंगे। यह पूर्णता का पत्र है। इस पत्र में कहा गया है कि शिव ही संसार का एकमात्र नाम है। जब आप नमः शिवाय में 'y' कहते हैं, तो इसका अर्थ है भगवान शिव, आपको शिव की कृपा प्राप्त हो रही है।


जयपुर और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. Jaipurvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.