वॉशिंगटन डीसी: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने के अपने अधिकार को लेकर एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। हाल ही में भारत पर टैरिफ दरों में बढ़ोतरी के संकेतों और वैश्विक व्यापार पर लगाए गए शुल्कों के बीच, अब ट्रंप प्रशासन अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के एक संभावित फैसले के खिलाफ मुखर हो गया है। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि टैरिफ लगाने की राष्ट्रपति की शक्ति को सीमित करने वाला कोई भी फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करेगा।
यह विवाद ऐसे समय में गहराया है जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट टैरिफ नीतियों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की समीक्षा कर रहा है, यह प्रक्रिया 5 नवंबर को शुरू हुई थी। ट्रंप प्रशासन ने चीन, यूरोप और भारत सहित कई देशों से आयातित वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाए हैं, जिनका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना है। हालांकि, इन नीतियों को देश के भीतर ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
कांग्रेस बनाम राष्ट्रपति: टैरिफ की शक्ति पर कानूनी लड़ाई
कई प्रमुख व्यवसाय और डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले राज्य अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय (U.S. Court of International Trade) का दरवाज़ा खटखटा चुके हैं। उनका मुख्य तर्क यह है कि टैरिफ लगाने की शक्तियां संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के पास नहीं, बल्कि कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के पास हैं। निचली अदालतों और एक संघीय अपीलीय अदालत ने पहले ही यह फैसला सुनाया था कि टैरिफ लगाने में ट्रंप ने अपनी सीमा पार कर दी थी, क्योंकि अमेरिकी संविधान कर और शुल्क लगाने की शक्ति कांग्रेस को देता है। ट्रंप ने इन शुल्कों को अक्सर 'राष्ट्रीय आपातकाल' और विदेशी नीति से जोड़कर उचित ठहराया है।
यदि सुप्रीम कोर्ट निचली अदालतों के फैसलों को बरकरार रखता है, तो यह ट्रंप की आर्थिक नीतियों और चुनावी रणनीति दोनों के लिए एक बड़ा झटका होगा। विश्लेषकों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों की सीमाओं को भी तय कर सकता है, जो भविष्य के अमेरिकी प्रशासन के लिए भी महत्वपूर्ण होगा। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर ट्रंप प्रशासन यह केस हार जाता है, तो पारस्परिक शुल्क अवैध हो जाएंगे, और अमेरिका को आयातकों को अरबों डॉलर का शुल्क रिफंड करना पड़ सकता है।
भारत भी निशाने पर
टैरिफ विवाद की पृष्ठभूमि में, भारत के साथ भी व्यापारिक संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। भारत में टैरिफ दरों में बढ़ोत्तरी के बाद, राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारत से अमेरिका आने वाले चावल के निर्यात पर सख्ती करने के संकेत दिए हैं और अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भारत, थाईलैंड और चीन जैसे देश अमेरिकी बाजार में सस्ता चावल खपा रहे हैं। ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा है कि "इन देशों पर टैरिफ लगाकर यह समस्या बहुत आसानी से सुलझ जाएगी। इसलिए हमें सुप्रीम कोर्ट में केस जीतना जरूरी है।"
ट्रंप ने टैरिफ को 'जीवन और मौत' से जुड़ा मामला बताया है, जिसका मतलब है कि अगर अमेरिका यह केस हार जाता है, तो देश की सुरक्षा और आर्थिक हित खतरे में पड़ जाएंगे। यह कानूनी जंग न केवल अमेरिका की व्यापार नीति, बल्कि संवैधानिक शक्तियों के संतुलन के लिए भी एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकती है।