ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी अब एक बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है। पिछले कुछ दिनों से दोनों देशों के बीच तनाव इतना बढ़ गया है कि अब यह स्थिति जंग का रूप ले चुकी है। रूस समेत कई अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है क्योंकि इस संघर्ष के बढ़ने से न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरी दुनिया को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
जंग की शुरुआत और इजरायल के हमले
इजरायल ने दो दिन पहले एक सटीक और व्यापक ऑपरेशन शुरू किया, जिसका नाम दिया गया "राइजिंग लायन"। इस ऑपरेशन के तहत इजरायल ने अपने ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। खासतौर पर ईरान की राजधानी तेहरान और नतांज में स्थित परमाणु ठिकानों पर बमबारी की गई। इजरायल ने करीब 200 से अधिक फाइटर जेट्स के जरिए हमले को अंजाम दिया। इस हमले में ईरान के कई शीर्ष सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान के आर्मी चीफ और IRGC के प्रमुख भी इस हमले में घायल हुए या मारे गए हैं। इसके अलावा 75 से ज्यादा आम नागरिक भी इस हमले में अपनी जान गंवा चुके हैं जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
इजरायल ने स्पष्ट किया है कि उनका मकसद ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना है, क्योंकि अगर ईरान के पास परमाणु हथियार आएंगे तो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा होगा। इजरायल का कहना है कि यह हमला पूरी तरह रणनीतिक था और उन्होंने अपने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया।
ईरान की कड़ी प्रतिक्रिया
इजरायल के इस हमले के जवाब में ईरान ने भी गुरुवार दोपहर को अपनी सैन्य ताकत दिखाते हुए इजरायल पर ड्रोन अटैक किए। रात होते-होते ईरान ने करीब 150 बैलिस्टिक मिसाइलें इजरायल की विभिन्न महत्वपूर्ण जगहों पर दागीं, जिनमें तेल अवीव, जेरुसलम और गोलान हाइट्स शामिल हैं। इस हमले में कई लोग घायल हुए हैं और एक महिला की मौत की भी खबर आई है। ईरान ने दावा किया है कि इजरायल के रक्षा मंत्रालय को भी निशाना बनाया गया था।
ईरान के सुप्रीम लीडर सैयद अली खामेनई ने धमकी दी है कि इजरायल को बहुत बड़ा जवाब मिलेगा। उन्होंने कहा कि इजरायल अपने अपराध के लिए बिना नुकसान उठाए नहीं बच पाएगा। ईरानी सशस्त्र बल इजरायल को "बेहाल" कर देंगे और नागरिकों को निश्चिंत रहने को कहा।
इजरायल की तैयारियां और सुरक्षा
ईरान के मिसाइल हमलों के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। देश के कई उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में एयर सायरन बजाए गए और नागरिकों को अलर्ट कर दिया गया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि ऑपरेशन राइजिंग लायन अब तक के इतिहास के सबसे बड़े सैन्य अभियानों में से एक है। उन्होंने ईरान की इस्लामी सरकार को चेतावनी दी कि वे लंबे समय से इजरायल और दुनिया पर अत्याचार कर रहे हैं, लेकिन अब इजरायल इस पर कड़ा जवाब दे रहा है।
वैश्विक स्तर पर चिंता
इजरायल और ईरान के बीच इस जंग ने पूरी दुनिया को चिंतित कर दिया है। रूस, चीन, यूरोपियन यूनियन और संयुक्त राष्ट्र जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय मंचों ने दोनों पक्षों से तुरंत संयम बरतने और वार्ता के रास्ते पर लौटने का आग्रह किया है। इस संघर्ष के बढ़ने से मध्य पूर्व में तेल की सप्लाई बाधित हो सकती है, जिससे वैश्विक तेल बाजारों में अस्थिरता आएगी और तेल के दामों में भारी वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा इस क्षेत्र में व्यापार और समुद्री रास्ते भी प्रभावित होंगे, जिससे दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ेगा।
भारत पर प्रभाव
भारत के लिए भी यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है क्योंकि भारत के दोनों देशों — ईरान और इजरायल — के साथ अच्छे राजनयिक और आर्थिक संबंध हैं। भारत ईरान से ऊर्जा और खजूर, बादाम जैसे उत्पाद आयात करता है जबकि भारत से ईरान को कृषि उत्पाद, डेयरी उत्पाद और सब्जियां निर्यात होती हैं। इस जंग के कारण भारत को तेल की कीमतों में वृद्धि, आयात-निर्यात बाधाएं और क्षेत्रीय अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही भारत के लाखों प्रवासी और व्यापारिक लोग भी इस संघर्ष से प्रभावित हो सकते हैं।
निष्कर्ष
ईरान और इजरायल के बीच यह तनाव अब एक खतरनाक युद्ध में बदल चुका है, जो न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र और विश्व के लिए गंभीर खतरा है। दोनों देशों के हालिया हमले और जवाबी हमले ने स्थिति को बेहद नाजुक बना दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कोशिश है कि वे दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर वापस लाएं ताकि इस जंग को और आगे बढ़ने से रोका जा सके।
यदि संयम नहीं बरता गया, तो यह जंग पूरे मध्य पूर्व में फैल सकती है और वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। इसलिए सभी को उम्मीद है कि जल्द ही दोनों देशों के बीच शांति स्थापित हो और इस विनाशकारी संघर्ष को खत्म किया जा सके।