जयपुर न्यूज डेस्क: चित्तौड़गढ़ रोड पर गुवारड़ी के पास स्थित टायर बेस्ड ऑयल फैक्ट्री के निरीक्षण में कई खामियां सामने आईं। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल (आरपीसीबी) ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट जयपुर भेज दी है। फैक्ट्री से निकलने वाली गैस का गुवारड़ी गांव पर कितना प्रभाव पड़ रहा है, इसकी जांच के लिए गांव और फैक्ट्री दोनों जगह उपकरण लगाए गए हैं। इन उपकरणों के जरिए 24 घंटे तक वायु गुणवत्ता की निगरानी की जाएगी। इससे पहले, 15 अक्टूबर के राजस्थान पत्रिका के अंक में "फैक्ट्री से प्रदूषण का आरोप, ग्रामीणों ने दिया धरना, हंगामा" शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया गया था।
आरपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी दीपक धनेटवाल ने बताया कि गुवारड़ी के निवासियों की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए कनिष्ठ वैज्ञानिक कृतिका सोमावत और कनिष्ठ पर्यावरण अभियंता कन्हैयालाल कुमावत को क्वालिटी सूटिंग्स प्रा.लि. फैक्ट्री का निरीक्षण करने भेजा गया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि ईटीपी (एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) काम नहीं कर रहा था, जिसके लिए फैक्ट्री प्रबंधन को तुरंत इसे चालू करने का निर्देश दिया गया। हालाँकि, फैक्ट्री में ऑर्डर कंट्रोल सिस्टम स्थापित था, लेकिन वह भी निष्क्रिय पाया गया। चिमनी की जांच के लिए आवश्यक सुविधाएँ मौजूद नहीं थीं।
फैक्ट्री के संचालन के दौरान अलग-अलग समय पर प्रवेशीय वायु गुणवत्ता की जांच की जा रही है, और इसके लिए फैक्ट्री में 24 घंटे की मॉनिटरिंग के लिए उपकरण लगाए गए हैं। गुवारड़ी गांव के एक मकान पर भी उपकरण स्थापित किया गया है, ताकि गांव में फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं का प्रभाव देखा जा सके। 24 घंटे की मॉनिटरिंग के बाद, यह स्पष्ट होगा कि किस समय और किस हद तक गांव में फैक्ट्री का धुआं फैल रहा है। इन सभी आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा।
धनेटवाल ने बताया कि फैक्ट्री की निरीक्षण रिपोर्ट मुख्यालय को भेज दी गई है। जब वायु गुणवत्ता के जांच परिणाम आ जाएंगे, तो एनालिसिस रिपोर्ट भी मुख्यालय को भेजी जाएगी।
फैक्ट्री से जहरीली गैस छोड़ने के आरोप में 14 अक्टूबर को ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना था कि फैक्ट्री से निकलने वाली जहरीली गैस के कारण कई लोग अस्थमा और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो चुके हैं। उनकी मांग है कि फैक्ट्री को बंद किया जाए, क्योंकि कई लोग कैंसर से अपनी जान गंवा चुके हैं।