कानून मंत्रालय ने चुनाव आयोग के परामर्श से, मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 और चुनाव नियम, 1961 में संशोधन किया, ताकि पिछले साल के अंत में बनाए गए चुनावी सुधारों को लागू किया जा सके। इसमें अंतर्निहित जल आईडी को आधार से जोड़ना शामिल है। इसके तहत वाटर आईडी लिंक करने के बाद एक ही वाटर आईडी कार्ड होगा। वहीं अगर किसी के पास दूसरा वाटर आईडी कार्ड है तो उसकी पहचान कर उसमें से फर्जी कार्ड हटा दिया जाएगा। वाटर आईडी को आधार से जोड़ने के लिए सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया गया है।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। कानून मंत्री ने एक चार्ट साझा किया और बताया कि मतदाता सूची डेटा को आधार पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ने के बाद, एक व्यक्ति के लिए अलग-अलग जगहों पर कई मतदाता पहचान पत्र बनाना प्रतिबंधित होगा। चुनावी प्रक्रिया में सुधार की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा।
कानून मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि आधार और पहली बार मतदाता पंजीकरण के लिए एक साल में चार पात्रता तिथियां पेश की जाएंगी, जिसके तहत आवेदक अपनी मतदाता पहचान पत्र में संशोधन कर सकेंगे। साथ ही आप वोटर आईडी को सपोर्ट से लिंक कर पाएंगे। संशोधित नियम के अनुसार, यह पुरुष सेवा मतदाता की पत्नी को उसी निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति देता है।
वोटर आईडी के लिए कौन से दस्तावेजों की आवश्यकता है?
आधार संख्या के साथ मतदाता पहचान पत्र प्रमाणीकरण की अनुमति है। इसके अलावा, 11 वैकल्पिक दस्तावेजों में से किसी एक की एक प्रति जमा करके पहचान का प्रमाण प्रदान किया जाएगा। इनमें मनरेगा जॉब कार्ड, फोटो के साथ बैंक पासबुक, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, पेंशन दस्तावेज, सरकार द्वारा जारी सेवा पहचान पत्र, सांसदों, विधायकों और एमएलसी और मंत्रालयों को जारी आधिकारिक पहचान पत्र शामिल हैं।