मुंबई, 18 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बिहार की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव अब जनशक्ति जनता दल से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। यह पार्टी उनके करीबी बालेंद्र दास ने 2024 में बनाई थी और उसी साल लोकसभा चुनाव में बांसुरी के चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरे थे। सोमवार को चुनाव आयोग ने इस दल को मान्यता दे दी। तेजप्रताप यादव खुद चुनाव आयोग पहुंचे और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से करीब आधे घंटे तक बातचीत की। अधिकारियों ने बताया कि पार्टी अब तेजप्रताप के नाम से ही रजिस्टर्ड हो चुकी है। तेजप्रताप यादव ने 26 जुलाई को ऐलान किया था कि वे महुआ विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। उनका कहना था कि "टीम तेज प्रताप" एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित करेगा और चुनाव में भी उन्हें पूरा सहयोग देगा। तेजप्रताप ने दावा किया कि इस बार उनके चाचा मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे और वही सरकार बनाएगा जो शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं पर काम करने का वादा करेगा। उन्होंने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके महुआ से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद कई लोगों को परेशानी होने लगी है। महुआ सीट से अभी आरजेडी के मुकेश कुमार विधायक हैं, जिन्होंने 2020 के चुनाव में जेडीयू की प्रत्याशी आशमा परवीन को 13,687 वोटों से हराया था। तेजप्रताप फिलहाल हसनपुर सीट से विधायक हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से पहले लालू प्रसाद यादव ने अपने बेटे को पार्टी और परिवार दोनों से बाहर कर दिया था। 25 मई को लालू ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि तेजप्रताप ने नैतिक मूल्यों की अवहेलना की है, जो सामाजिक न्याय की लड़ाई को कमजोर करता है। उनके आचरण और व्यवहार परिवार की परंपराओं के अनुकूल नहीं हैं, इसलिए उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया जा रहा है। पार्टी से निकाले जाने के बाद तेजप्रताप ने भी कड़ा रुख अपनाया। 19 जून को उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि उनकी खामोशी को कमजोरी न समझा जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि झूठ और फरेब का चक्रव्यूह तोड़ा जाएगा और सच्चाई सामने आएगी। तेजप्रताप ने यह भी कहा कि उनकी भूमिका उनकी जनता और सुप्रीम कोर्ट तय करेगा, कोई दल या परिवार नहीं।