जयपुर के काले हनुमान जी का मंदिर !
दोस्तों, आप सभी को पता ही होगा की हनुमान जी सूर्य देव के शिष्य थे और उनकी शिक्षा-दीक्षा सूर्य देव के यहां ही संपन्न हुई थी । हनुमान जी के काले वर्ण होने का रहस्य तब से शुरू होता है, जब हनुमान जी की शिक्षा-दीक्षा खत्म हो गई थी और हनुमान जी सूर्यलोक से वापस अपने घर लौट रहे थें । बता दें कि, जब हनुमान जी ने सूर्य देव से कहा कि गुरुदेव मैं आपको गुरु दक्षिणा में क्या दूं। तब सूर्य देव ने हनुमान जी से कहा कि मारुति मेरा पुत्र शनि मुझसे अच्छे से बात भी नहीं करता है, यदि तुम हम दोनों के बीच इस अलगाव को खत्म करके एकता का संबंध स्थापित कर दोगे, तो मैं उसे ही गुरु दक्षिणा समझ लूंगा । उसके बाद हनुमान जी ने सूर्य देव की बात को सुनने के बाद वहां से शनि देव की खोज में निकल पड़े। बहुत देर तक ढूंढने के बाद आखिर में हनुमान जी को शनि देव से मुलाकात हो ही गई । जब हनुमान जी शनि देव को सूर्य देव से मिल-जुल कर रहने के बारे में समझा रहे थे, तो शनि देव हनुमान जी की बात समझने के लिए तैयार ही नहीं हो रहे थे ।
दोनों, कि बात इतनी आगे बढ गई कि, उन दोनों के बीच युद्ध शुरू हो गया और युद्ध के दौरान क्रोधित शनि देव के ज्वाला से हनुमान जी का संपूर्ण शरीर श्याम वर्ण यानी काला कर दिया । शरीर काला होने के बावजूद भी हनुमान जी ने शनि देव और सूर्य देव के बीच एकता का संबंध स्थापित कर ही दिया । हनुमान जी के इस कार्य से प्रसन्न होकर शनि देव ने कहा कि जो भी भक्त शनिवार को आपकी पूजा करेगा, उसके ऊपर किसी भी तरह की कोई संकट नहीं आएगा और यहीं कारण हैं कि काले हनुमान जी की पूजा मंगलवार से ज्यादा शनिवार के दिन होती हैं ।