Apara Ekadashi 2022: जानिए, कब हैं अपरा एकादशी और व्रत, पूजा की विधि !

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Posted On:Tuesday, May 24, 2022

शास्त्रों के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी ति​थि को आता है और दिन व्रत भी रखा जाता हैं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, इस दिन विष्णु पूजा और व्रत रखने से पाप, दुख, कष्ट आदि का तो नाश होता ही हैं मगर साथ ही में आपको मोक्ष की भी प्राप्ति भी हो जाती हैं । अपरा एकादशी व्रत करने से प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है । इसके आगे आपको बता दें कि, इस व्रत के पुण्य को किसी प्रेतात्मा को दान कर देने से उसे प्रेत योनि से छुटकारा मिल जाता है और वो सीधे स्वर्ग लोक में चला जाता हैं । आज हम आपको इस व्रत ओैर इसकी पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं ।

अपरा एकादशी 2022 मुहूर्त—

​हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अपरा एकादशी व्रत के लिए ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ 25 मई को सुबह 10 बजकर 32 मिनट से हो जाएगा और यह तिथि 26 मई को सुबह 10 बजकर 54 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि की मान्यतानुसार, अपरा एकादशी व्रत 26 मई गुरुवार को है । इस दिन सुबह से रात 10:15 बजे तक आयुष्मान योग बना हुआ है, सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन है. ऐसे में आप अपरा एकादशी व्रत की पूजा इस दिन अपनी सुविधानुसार सुबह कभी कर सकते हैं. व्रत का पारण अगले दिन 27 मई को प्रात: 05:25 बजे से प्रात: 08:10 बजे के बीच कर लेना है ।


जानिए, अपरा एकादशी व्रत और पूजा विधि

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, 25 मई को दशमी के दिन से तामसिक वस्तुओं का सेवन बंद कर दें जैसे कि— लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि । 26 मई को प्रात: स्नान के बाद अपरा एकादशी व्रत एवं भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प करें और उसके बाद पूजा स्थान पर एक चौकी पर भगवान विष्णु की स्थापना करें और अब शुभ मुहूर्त देखकर भगवान विष्णु को स्नाना करवाकर पंचामृत से अभिषेक करें और उसके बाद श्रीहरि को पीले वस्त्र, पीले फूल, फल, अक्षत्, चंदन, हल्दी, केसर, पंचामृत, तुलसी का पत्ता, गुड़, सुपारी, पान का पत्ता, केला, धूप, दीप, गंध आ​​दि चढ़ाएं ।

उसके बाद पूजा में विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम, अपरा एकादशी व्रत कथा आदि का पाठ करें और पूजा का समापन भगवान विष्णु की आरती से करें । इसके बाद किसी ब्राह्मण को गेहूं, गुड़, हल्दी, पीले वस्त्र, फल आदि का दान करें ।  रात्रि के समय में भगवत जागरण करें और प्रभु की भक्ति में समय व्यतीत करें उसके बाद अगले दिन सुबह फिर स्नान के बाद पूजा करें । शाम के समय भोजन ग्रहण करके व्रत को पूरा करें ।


 


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