जयपुर में मकर संक्रांति पर पतंगबाजी की परंपरा, हिंदू-मुस्लिम मिलकर मनाते हैं त्यौहार

Photo Source : Zee News

Posted On:Tuesday, January 14, 2025

जयपुर न्यूज डेस्क: जयपुर में मकर संक्रांति के अवसर पर पतंगबाजी की परंपरा सदियों पुरानी है, जिसे महाराजा सवाई राम सिंह ने शुरू किया था। समय के साथ यह परंपरा आम जनता में भी लोकप्रिय हो गई, और आज भी जयपुरवासी इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं। खास बात यह है कि यहां पतंगबाजी का आयोजन हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय मिलकर करते हैं, जिससे शहर में साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बनता है। मकर संक्रांति के दिन आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है और गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश होती है।

जयपुर के पुराने शहर में स्थित हांडीपुरा बाजार में 150 साल पुराना पतंग बाजार है, जो इस दिन और भी खास हो जाता है। बाजार की दुकानों में रंग-बिरंगी पतंगे सज जाती हैं और लोग इन्हें खरीदकर खुशी मनाते हैं। इस बाजार में पतंग बनाने और बेचने का काम मुख्य रूप से मुसलमान कारीगर करते हैं। ये कारीगर पतंगों को कागज, बांस की डंडियों और धागे से बड़ी ही सुंदरता से बनाते हैं। एक दिन में कई पतंगे तैयार होती हैं, और खास पतंगे बनाने में एक पूरा दिन भी लग सकता है।

जयपुर में पतंग बनाने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और यह कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आ रहा है। कई कारीगरों ने अपनी पूरी जिंदगी पतंग बनाने में ही समर्पित कर दी है। अब्दुल गफूर नामक कारीगर ने शाही परिवारों और मशहूर हस्तियों के चेहरे वाली पतंगें बनाई हैं, और उनका यह हुनर कई सालों से प्रसिद्ध है। पतंगों की बिक्री अब सिर्फ बाजारों में ही नहीं, बल्कि ऑनलाइन भी हो रही है, जिससे इस परंपरा को और भी बढ़ावा मिला है।

अब्दुल हमीद जैसे कारीगर विदेशी पतंगों की भी एक सीरीज़ तैयार करते हैं, जिसमें ड्रैगन, परियों और कार्टून कैरेक्टर वाली पतंगे शामिल हैं। उनकी पतंगों की कीमत 200 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक होती है, जो उनके कला और मेहनत का प्रतिफल है। इस तरह, जयपुर में पतंगबाजी न केवल एक परंपरा बन गई है, बल्कि यह स्थानीय कारीगरों के लिए एक महत्वपूर्ण आजीविका का स्रोत भी है।

हर साल, जयपुर पर्यटन विभाग जल महल पैलेस के किनारे पतंगबाजी के कार्यक्रम का आयोजन करता है। इसमें बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं, और इसका उद्देश्य रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम से सिर्फ पतंगबाजी का आनंद ही नहीं मिलता, बल्कि यह सांप्रदायिक एकता और सद्भाव को भी बढ़ावा देता है, जो जयपुर की विविधता और समरसता को दर्शाता है।


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