जयपुर न्यूज डेस्क: राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंस (RUHS) ने डॉक्टर्स की निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाने का अहम फैसला लिया है। बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की बैठक में तय किया गया कि आरयूएचएस से संबद्ध कॉलेजों और अस्पतालों में कार्यरत मेडिकल टीचर्स और डॉक्टर्स अब घर पर मरीज नहीं देख पाएंगे। नए नियम वर्तमान में कार्यरत और नई नियुक्तियों पर समान रूप से लागू होंगे। आवश्यकता पड़ने पर एम्स दिल्ली की तर्ज पर डॉक्टर्स के लिए वेतन और भत्ते बढ़ाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जाएगा।
आरयूएचएस के अस्पतालों में अनिवार्य नॉन प्रैक्टिस अलाउंस लागू होगा। बोर्ड की बैठक में बताया गया कि राजस्थान सरकार इन संस्थानों को बेहतर टीचिंग, रिसर्च और पेशेंट केयर केंद्र के रूप में विकसित करना चाहती है। इसके लिए एम्स दिल्ली जैसे नियम लागू किए जाएंगे। जयपुरिया अस्पताल, आरयूएचएस अस्पताल, और डेंटल कॉलेज सहित सभी संबंधित संस्थानों में यह नीति प्रभावी होगी।
इस फैसले का उद्देश्य चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना है। आरयूएचएस के वीसी डॉ. धनंजय अग्रवाल ने बताया कि अब तक नॉन प्रैक्टिस अलाउंस वैकल्पिक था, लेकिन इसे अनिवार्य कर दिया गया है। डॉक्टर्स अब निजी प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे, जिससे वे पूरी तरह से संस्थान और मरीजों की सेवाओं पर ध्यान केंद्रित कर सकें। नई भर्तियों में भी यह नियम लागू होगा, और आवश्यकतानुसार डॉक्टर्स को दिल्ली एम्स के समान सुविधाएं दी जाएंगी।
बैठक में नई भर्तियों पर भी फैसले लिए गए। सहायक आचार्य और अन्य पदों के लिए 519 रिक्तियों पर जल्द नियुक्तियां होंगी। ब्रॉड स्पेशलिटी में 69 और सुपरस्पेशलिटी में 9 पदों के अलावा 441 अशैक्षणिक पदों पर भर्ती के लिए 12 दिसंबर तक विज्ञप्ति जारी करने का निर्णय हुआ है। इन भर्तियों की प्रक्रिया की जिम्मेदारी एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. नीरज वर्मा को सौंपी गई है।