मोती डूंगरी मंदिर जयपुर, राजस्थान में स्थित एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक हिन्दू मंदिर है। मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास करीब 400 साल पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि इस पवित्र और लोकप्रिय मंदिर का निर्माण करीब 1761 में सेठ जय राम पल्लीवाल की निगरानी में किया गया था। मोती डूंगरी गणेश मंदिर को लेकर यह भी माना जाता है कि इसका निर्माण राजस्थान के उत्तम पत्थर से करीब 4 महीने के अंदर पूरा हो गया था। यह मंदिर विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा के लिए प्रसिद्ध है और शहर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। आइए जानते हैं मोती डूंगरी मंदिर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें:
मोती डूंगरी मंदिर का इतिहास:
1. स्थान और निर्माण:
- मोती डूंगरी मंदिर जयपुर के एक छोटे से पहाड़ी (डूंगरी) पर स्थित है, जो जयपुर शहर के केंद्र से कुछ दूरी पर है।
- इस मंदिर का निर्माण 19वीं सदी में हुआ था। यह मंदिर राजा सवाई मानसिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया था। राजा सवाई मानसिंह द्वितीय जयपुर के प्रमुख महाराजा थे जिन्होंने जयपुर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. भगवान गणेश की पूजा:
- मोती डूंगरी मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। भगवान गणेश, जिसे विघ्नहर्ता और बुद्धि और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है, इस मंदिर में प्रमुख देवता हैं।
- गणेश चतुर्थी के समय मंदिर में विशेष पूजा और आयोजन होते हैं, जिसमें हजारों भक्त हिस्सा लेते हैं।
3. मंदिर की वास्तुकला:
- मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली की है, जिसमें लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया गया है।
- मंदिर के परिसर में एक खूबसूरत मंड़ेप और विस्तृत मंडप है, जहां भक्त पूजा अर्चना कर सकते हैं।
4. पौराणिक मान्यता:
- स्थानीय मान्यता के अनुसार, मोती डूंगरी का क्षेत्र बहुत पवित्र माना जाता है और यहाँ के गणेश मंदिर की पूजा से लोगों को सुख-समृद्धि और खुशहाली प्राप्त होती है। मंदिर के परिसर में स्थित पहाड़ी पर चढ़ने के लिए भक्तों को सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं, जो मंदिर की विशेषता को और भी बढ़ाती हैं। मोतीडूंगरी की तलहटी में स्थित भगवान गणेश का यह मंदिर जयपुर के लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। इतिहासकारों का कहना है कि यहां स्थापित गणेश प्रतिमा 1761 ई. जयपुर राजा माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली की है। में लाया गया था यह मूर्ति गुजरात से मावली में लायी गयी थी। उस समय यह पाँच सौ वर्ष पुराना था। जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल इस मूर्ति को लेकर आये और उन्हीं की देखरेख में मोती डूंगरी की तलहटी में इस मंदिर का निर्माण कराया गया।
5. प्रमुख त्यौहार और आयोजनों:
- गणेश चतुर्थी के दौरान मंदिर में भव्य आयोजन और पूजा अर्चना होती है। इस अवसर पर मंदिर में विशेष सजावट की जाती है और भव्य मेले का आयोजन होता है।
- हर मंगलवार और बुधवार को मंदिर में विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है, जिनमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं।
समापन:
मोती डूंगरी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि जयपुर के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ आने वाले भक्त न केवल धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, बल्कि इस ऐतिहासिक स्थल की सुंदरता और शांति का भी अनुभव करते हैं।