सवाई जय सिंह द्वारा निर्मित जंतर मंतर यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। यहां मौजूद उपकरण अति प्राचीन होते हुए भी आधुनिकता का प्रमाण देते हैं। इन उपकरणों का उपयोग समय मापने, भविष्य के ग्रहणों की भविष्यवाणी करने और तारों की गति का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। जंतर मंतर जयपुर भारत की शीर्ष कृतियों में से एक है। ये उपकरण भारत के बुद्धिमान खगोलविदों और गणितज्ञों की उच्च स्तर की बुद्धिमत्ता को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। आपको अपने देश के इस महान कार्य का साक्षी अवश्य बनना चाहिए।
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जंतर मंतर का इतिहास जयपुर 1728 में आमेर के राजा सवाई जय सिंह ने जंतर मंतर का काम शुरू कराया, जिसके माध्यम से समय-समय पर ज्योतिषीय और खगोलीय घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी की गई और इसे दुनिया भर में प्रसिद्धि मिली। राजा ने पाँच स्थानों पर खगोलीय वेधशालाएँ बनवाईं जो जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, मथुरा और बनारस में स्थित हैं। इन सभी वेधशालाओं में जयपुर का जंतर मंतर सबसे बड़ा है और इसे बनाने में दस साल लगे। यहां मौजूद सभी उपकरण पत्थर से बने हैं।
पहले अस्थायी निरीक्षण के लिए इन उपकरणों को लकड़ी का बनाया जाता था, फिर सब कुछ तय हो जाने के बाद इन उपकरणों को पत्थर का बनाया जाता था। जंतर मंतर टिकट की कीमत जंतर मंतर जयपुर में भारतीय वयस्कों के लिए टिकट की कीमत ₹50 और भारतीय छात्रों के लिए ₹15 है। वहीं, विदेशी यात्रियों के लिए टिकट की कीमत ₹200 और विदेशी छात्रों के लिए ₹100 निर्धारित की गई है। जंतर मंतर जयपुर का समय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक है। यह सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है इसलिए आप यहां किसी भी दिन आकर अपना समय बिता सकते हैं। आप 30-45 मिनट में पूरा जंतर-मंतर देख सकते हैं। जंतर-मंतर के मुख्य आकर्षण जयपुर जंतर-मंतर का उपकरण बहुत आकर्षक है और यह अपने आप में बहुत कुछ कहता है। 19 उपकरण जो विभिन्न ज्यामितीय आकृतियों के हैं। जंतर-मंतर को विस्तार से समझने के लिए आप ऑडियो गाइड की मदद ले सकते हैं:
1. वृतसम्राट यंत्र
2. लघु सम्राट यंत्र
3. रामयंत्र
4.जयप्रकाश यंत्र
5. सम्राट यंत्र
6. दिशात्मक उपकरण
7. ध्रुवीकरणकर्ता
8. क्रांति
9. चक्र यंत्र
10. दिगमास
11. नदी बेसिन