जयपुर का ऐसा शिव मंदिर, जहां माथा टेकने के लिए भक्त करते हैं सालभर इंतजार

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Posted On:Monday, July 17, 2023

भारत में ऐसे कई शिव मंदिर हैं, जहां जलाभिषेक और शिव की पूजा की जाती है। यहां लाखों भक्त अपनी-अपनी इच्छा से दर्शन करने आते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।
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जहां भक्तों को माथा टेकने के लिए पूरे साल इंतजार करना पड़ता है यानी एक ऐसा मंदिर जो साल में सिर्फ एक बार खुलता है। यह रहस्यमयी मंदिर राजस्थान के गुलाबी शहर जयपुर के मोती डूंगरी में स्थित है, इस मंदिर को एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही इसे शंकर गढ़ी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मोती डूंगरी में एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर और चांदनी चौक में राज-राजेश्वर मंदिर जयपुर में केवल दो मंदिर हैं जो साल में केवल एक बार खुलते हैं।
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शिव भक्त पूरे साल एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर के खुलने का इंतजार करते हैं और शिवरात्रि के दिन एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं और घंटों इंतजार के बाद लोग यहां दर्शन करते हैं। वहीं शिवरात्रि के दिन मंदिर को विशेष तरीके से सजाया जाता है, जो भक्तों का मन मोह लेता है. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को एक किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।
jaipur lord shiv mandir Eklingeshwar Mahadev Temple doors kapat open only  mahashivratri - ऐसा शिव मंदिर जहां दर्शन के लिए करना पड़ता है एक साल  इंतजार, जुड़ा है ये रहस्य
शिव भक्त पूरे साल एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर के खुलने का इंतजार करते हैं और शिवरात्रि के दिन एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं और घंटों इंतजार के बाद लोग यहां दर्शन करते हैं। वहीं शिवरात्रि के दिन मंदिर को विशेष तरीके से सजाया जाता है, जो भक्तों का मन मोह लेता है. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को एक किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।
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वहीं कुछ समय बाद इस मंदिर में एक बार फिर शिव परिवार स्थापित हो गया, लेकिन फिर यहां की सभी मूर्तियां गायब हो गईं। तभी से एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर एक चमत्कारिक मंदिर के रूप में जाना जाने लगा और तब से किसी अनहोनी के डर से यहां कभी भी शिव परिवार की मूर्ति स्थापित नहीं की गई। एकलिंगेश्वर महादेव की पूजा सबसे पहले शिवरात्रि पर जयपुर के राजपरिवार द्वारा की जाती थी, उसके बाद यहां भक्तों द्वारा शिव का जलाभिषेक और पूजा की जाती थी।


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