पाना चाहते है,आर्थिक संकटों से मुक्ति तो, आज से शुरू करें विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ

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Posted On:Thursday, June 9, 2022

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा आराधना को समर्पित है इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है आज के दिन विष्णु पूजा करना श्रेष्ठ माना गया है भक्त भगवान श्री हरि विष्णु प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ के साथ साथ उपवास भी रखते हैं । इस दिन अगर पूरी निष्ठा भाव के साथ विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ किया जाए तो श्री हरि अपने भक्तों के जीवन से दुख दूर करते हैं विष्णु पञ्जर स्तोत्र के पाठ से आर्थिक संकट भी पूरी  तरह दूर हो जाता है तो आज हम आपके लिए लेकर आए है विष्णु पञ्जर स्तोत्र का संपूर्ण पाठ।
श्री विष्णु पंजर स्तोत्रम् Vishnu Panjara Stotram with Lyrics | Shlokas &  Mantras of Lord Vishnu - YouTube

विष्णु पञ्जर स्तोत्र—

॥ हरिरुवाच ॥
प्रवक्ष्याम्यधुना ह्येतद्वैष्णवं पञ्जरं शुभम् ।
नमोनमस्ते गोविन्द चक्रं गृह्य सुदर्शनम् ॥ १॥

प्राच्यां रक्षस्व मां विष्णो ! त्वामहं शरणं गतः ।
गदां कौमोदकीं गृह्ण पद्मनाभ नमोऽस्त ते ॥ २॥

याम्यां रक्षस्व मां विष्णो ! त्वामहं शरणं गतः ।
हलमादाय सौनन्दे नमस्ते पुरुषोत्तम ॥ ३॥

प्रतीच्यां रक्ष मां विष्णो ! त्वामह शरणं गतः ।
मुसलं शातनं गृह्य पुण्डरीकाक्ष रक्ष माम् ॥ ४॥

उत्तरस्यां जगन्नाथ ! भवन्तं शरणं गतः ।
खड्गमादाय चर्माथ अस्त्रशस्त्रादिकं हरे ! ॥ ५॥

नमस्ते रक्ष रक्षोघ्न ! ऐशान्यां शरणं गतः ।
पाञ्चजन्यं महाशङ्खमनुघोष्यं च पङ्कजम् ॥ ६॥

प्रगृह्य रक्ष मां विष्णो आग्न्येय्यां रक्ष सूकर ।
चन्द्रसूर्यं समागृह्य खड्गं चान्द्रमसं तथा ॥ ७॥

नैरृत्यां मां च रक्षस्व दिव्यमूर्ते नृकेसरिन् ।
वैजयन्तीं सम्प्रगृह्य श्रीवत्सं कण्ठभूषणम् ॥ ८॥

विष्णु पंजर स्तोत्रम् Vishnu Panjar Sthotram | Powerful Vishnu Mantra -  YouTube

वायव्यां रक्ष मां देव हयग्रीव नमोऽस्तु ते ।
वैनतेयं समारुह्य त्वन्तरिक्षे जनार्दन ! ॥ ९॥

मां रक्षस्वाजित सदा नमस्तेऽस्त्वपराजित ।
विशालाक्षं समारुह्य रक्ष मां त्वं रसातले ॥ १०॥

अकूपार नमस्तुभ्यं महामीन नमोऽस्तु ते ।
करशीर्षाद्यङ्गुलीषु सत्य त्वं बाहुपञ्जरम् ॥ ११॥

कृत्वा रक्षस्व मां विष्णो नमस्ते पुरुषोत्तम ।
एतदुक्तं शङ्कराय वैष्णवं पञ्जरं महत् ॥ १२॥

पुरा रक्षार्थमीशान्याः कात्यायन्या वृषध्वज ।
नाशायामास सा येन चामरान्महिषासुरम् ॥ १३॥

दानवं रक्तबीजं च अन्यांश्च सुरकण्टकान् ।
एतज्जपन्नरो भक्त्या शत्रून्विजयते सदा ॥ १४॥

read shri Vishnu panjar stotram on Thursday

इति श्रीगारुडे पूर्वखण्डे प्रथमांशाख्ये आचारकाण्डे
विष्णुपञ्जरस्तोत्रं नाम त्रयोदशोऽध्यायः॥


 


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