नियमित करें विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ, पूरी होगी मनोकामना

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Posted On:Thursday, June 2, 2022

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में सप्ताह के सातों दिनों को बेहद ही खास माना जाता है वही गुरुवार का दिन श्री हरि विष्णु को समर्पित है ऐसा कहा जाता है कि आज यानी गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना श्रेष्ठ होता है इस दिन भक्त भगवान की विधिवत पूजा करते हैं और उपवास भी रखते हैं
read shri Vishnu panjar stotram on Thursday

इस दिन अगर पूरी निष्ठा भाव से विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ किया जाए तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है वैसे तो भगवान विष्णु का स्मरण मात्र ही इच्छाओं को पूरा करने वाला माना गया है यह विष्णु पञ्जर स्तोत्र के नाम से भी प्रसिद्ध है इसके प्रभाव से ही माता रानी ने भी रक्तबीज व महिषासुर जैसे राक्षसों का अंत किया था।

विष्णु पञ्जर स्तोत्र—

॥ हरिरुवाच ॥
प्रवक्ष्याम्यधुना ह्येतद्वैष्णवं पञ्जरं शुभम् ।
नमोनमस्ते गोविन्द चक्रं गृह्य सुदर्शनम् ॥ १॥

प्राच्यां रक्षस्व मां विष्णो ! त्वामहं शरणं गतः ।
गदां कौमोदकीं गृह्ण पद्मनाभ नमोऽस्त ते ॥ २॥

याम्यां रक्षस्व मां विष्णो ! त्वामहं शरणं गतः ।
हलमादाय सौनन्दे नमस्ते पुरुषोत्तम ॥ ३॥

प्रतीच्यां रक्ष मां विष्णो ! त्वामह शरणं गतः ।
मुसलं शातनं गृह्य पुण्डरीकाक्ष रक्ष माम् ॥ ४॥
आज महालाभ के लिए आप भी कर सकते हैं भगवान श्रीहरि विष्णु के पवित्र मंत्र का  जाप | NewsTrack Hindi 1

उत्तरस्यां जगन्नाथ ! भवन्तं शरणं गतः ।
खड्गमादाय चर्माथ अस्त्रशस्त्रादिकं हरे ! ॥ ५॥

नमस्ते रक्ष रक्षोघ्न ! ऐशान्यां शरणं गतः ।
पाञ्चजन्यं महाशङ्खमनुघोष्यं च पङ्कजम् ॥ ६॥

प्रगृह्य रक्ष मां विष्णो आग्न्येय्यां रक्ष सूकर ।
चन्द्रसूर्यं समागृह्य खड्गं चान्द्रमसं तथा ॥ ७॥

नैरृत्यां मां च रक्षस्व दिव्यमूर्ते नृकेसरिन् ।
वैजयन्तीं सम्प्रगृह्य श्रीवत्सं कण्ठभूषणम् ॥ ८॥
बृहस्पतिवार के दिन इस स्तोत्र का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होने की है  मान्यता, प्रसन्न होते हैं भगवान विष्णु | Jansatta

वायव्यां रक्ष मां देव हयग्रीव नमोऽस्तु ते ।
वैनतेयं समारुह्य त्वन्तरिक्षे जनार्दन ! ॥ ९॥

मां रक्षस्वाजित सदा नमस्तेऽस्त्वपराजित ।
विशालाक्षं समारुह्य रक्ष मां त्वं रसातले ॥ १०॥


अकूपार नमस्तुभ्यं महामीन नमोऽस्तु ते ।
करशीर्षाद्यङ्गुलीषु सत्य त्वं बाहुपञ्जरम् ॥ ११॥

कृत्वा रक्षस्व मां विष्णो नमस्ते पुरुषोत्तम ।
एतदुक्तं शङ्कराय वैष्णवं पञ्जरं महत् ॥ १२॥

पुरा रक्षार्थमीशान्याः कात्यायन्या वृषध्वज ।
नाशायामास सा येन चामरान्महिषासुरम् ॥ १३॥

दानवं रक्तबीजं च अन्यांश्च सुरकण्टकान् ।
एतज्जपन्नरो भक्त्या शत्रून्विजयते सदा ॥ १४॥
इस मंत्र से मिलेगा भगवान विष्णु के हजार नामों के जप का फल - benefits of  chanting vishnu sahastranaam stotra mantra - AajTak

इति श्रीगारुडे पूर्वखण्डे प्रथमांशाख्ये आचारकाण्डे
विष्णुपञ्जरस्तोत्रं नाम त्रयोदशोऽध्यायः॥


 


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