शनिवार के दिन करें श्री शनैश्चर सहस्रनामवली पाठ, हर मनोकामना होगी पूरी !

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Posted On:Saturday, May 7, 2022

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव की पूजा आराधना को समर्पित है इस दिन भगवान शनिदेव की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से शनि महाराज प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों पर कृपा करते हैं आज के दिन भक्त भगवान शनिदेव की विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं और उपवास रखते हैं ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन श्री शनैश्चर सहस्रनामवली पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए है श्री शनैश्चर सहस्रनामवली पाठ।
शनिवार के दिन इस तरह करें शनिदेव की पूजा, पूरी हो जाएगी सारी मनोकामना – Lok  Prahri | लोक प्रहरी

श्री शनैश्चर सहस्रनामवली—

॥ श्रीशनैश्चरसहस्रनामावळिः ॥
ॐ अमिताभाषिणे नमः ।
ॐ अघहराय नमः ।
ॐ अशेषदुरितापहाय नमः ।
ॐ अघोररूपाय नमः ।
ॐ अतिदीर्घकायाय नमः ।
ॐ अशेषभयानकाय नमः ।
ॐ अनन्ताय नमः ।
ॐ अन्नदात्रे नमः ।
ॐ अश्वत्थमूलजपप्रियाय नमः ।
ॐ अतिसम्पत्प्रदाय नमः ॥ १० ॥
ॐ अमोघाय नमः ।
ॐ अन्यस्तुत्याप्रकोपिताय नमः ।
ॐ अपराजिताय नमः ।
ॐ अद्वितीयाय नमः ।
ॐ अतितेजसे नमः ।
ॐ अभयप्रदाय नमः ।
ॐ अष्टमस्थाय नमः ।
ॐ अञ्जननिभाय नमः ।
ॐ अखिलात्मने नमः ।
ॐ अर्कनन्दनाय नमः ॥ २० ॥

ॐ अतिदारुणाय नमः ।
ॐ अक्षोभ्याय नमः ।
ॐ अप्सरोभिः प्रपूजिताय नमः ।
ॐ अभीष्टफलदाय नमः ।
ॐ अरिष्टमथनाय नमः ।
ॐ अमरपूजिताय नमः ।
ॐ अनुग्राह्याय नमः ।
ॐ अप्रमेयपराक्रमविभीषणाय नमः ।
ॐ असाध्ययोगाय नमः ।
ॐ अखिलदोषघ्नाय नमः ॥ ३० ॥

ॐ अपराकृताय नमः ।
ॐ अप्रमेयाय नमः ।
ॐ अतिसुखदाय नमः ।
ॐ अमराधिपपूजिताय नमः ।
ॐ अवलोकात्सर्वनाशाय नमः ।
ॐ अश्वत्थामद्विरायुधाय नमः ।
ॐ अपराधसहिष्णवे नमः ।
ॐ अश्वत्थामसुपूजिताय नमः ।
ॐ अनन्तपुण्यफलदाय नमः ।
ॐ अतृप्ताय नमः ॥ ४० ॥
इस एक मंत्र से प्रसन्न होंगे शनिदेव, अशुभ प्रभाव भी होगा कम, शनिवार के दिन  जरूर करें जाप || To please Shani Dev, chant this Shani Mantra on Saturday

ॐ अतिबलाय नमः ।
ॐ अवलोकात्सर्ववन्द्याय नमः ।
ॐ अक्षीणकरुणानिधये नमः ।
ॐ अविद्यामूलनाशाय नमः ।
ॐ अक्षय्यफलदायकाय नमः ।
ॐ आनन्दपरिपूर्णाय नमः ।
ॐ आयुष्कारकाय नमः ।
ॐ आश्रितेष्टार्थवरदाय नमः ।
ॐ आधिव्याधिहराय नमः ।
ॐ आनन्दमयाय नमः ॥ ५० ॥

ॐ आनन्दकराय नमः ।
ॐ आयुधधारकाय नमः ।
ॐ आत्मचक्राधिकारिणे नमः ।
ॐ आत्मस्तुत्यपरायणाय नमः ।
ॐ आयुष्कराय नमः ।
ॐ आनुपूर्व्याय नमः ।
ॐ आत्मायत्तजगत्त्रयाय नमः ।
ॐ आत्मनामजपप्रीताय नमः ।
ॐ आत्माधिकफलप्रदाय नमः ।
ॐ आदित्यसंभवाय नमः ॥ ६० ॥

ॐ आर्तिभञ्जनाय नमः ।
ॐ आत्मरक्षकाय नमः ।
ॐ आपद्बान्धवाय नमः ।
ॐ आनन्दरूपाय नमः ।
ॐ आयुःप्रदाय नमः ।
ॐ आकर्णपूर्णचापाय नमः ।
ॐ आत्मोद्दिष्टद्विजप्रदाय नमः ।
ॐ आनुकूल्याय नमः ।
ॐ आत्मरूपप्रतिमादानसुप्रियाय नमः ।
ॐ आत्मारामाय नमः ॥ ७० ॥
Shanivar Ke Upay, Shani Dev Remedies Upay : How To Please Shanidev Shanidev  Ko Khush Karne Ke Totke | Shani Dev Remedies Upay: शनिदेव को प्रसन्‍न करने  के ये मंत्र और उपाय
ॐ आदिदेवाय नमः ।
ॐ आपन्नार्तिविनाशनाय नमः ।
ॐ इन्दिरार्चितपादाय नमः ।
ॐ इन्द्रभोगफलप्रदाय नमः ।
ॐ इन्द्रदेवस्वरूपाय नमः ।
ॐ इष्टेष्टवरदायकाय नमः ।
ॐ इष्टापूर्तिप्रदाय नमः ।
ॐ इन्दुमतीष्टवरदायकाय नमः ।
ॐ इन्दिरारमणप्रीताय नमः ।
ॐ इन्द्रवंशनृपार्चिताय नमः ॥ ८० ॥

ॐ इहामुत्रेष्टफलदाय नमः ।
ॐ इन्दिरारमणार्चिताय नमः ।
ॐ ईद्रियाय नमः ।
ॐ ईश्वरप्रीताय नमः ।
ॐ ईषणात्रयवर्जिताय नमः ।
ॐ उमास्वरूपाय नमः ।
ॐ उद्बोध्याय नमः ।
ॐ उशनाय नमः ।
ॐ उत्सवप्रियाय नमः ।
ॐ उमादेव्यर्चनप्रीताय नमः ॥ ९० ॥

ॐ उच्चस्थोच्चफलप्रदाय नमः ।
ॐ उरुप्रकाशाय नमः ।
ॐ उच्चस्थयोगदाय नमः ।
ॐ उरुपराक्रमाय नमः ।
ॐ ऊर्ध्वलोकादिसञ्चारिणे नमः ।
ॐ ऊर्ध्वलोकादिनायकाय नमः ।
ॐ ऊर्जस्विने नमः ।
ॐ ऊनपादाय नमः ।
ॐ ऋकाराक्षरपूजिताय नमः ।
ॐ ऋषिप्रोक्तपुराणज्ञाय नमः ॥ १०० ॥

ॐ ऋषिभिः परिपूजिताय नमः ।
ॐ ऋग्वेदवन्द्याय नमः ।
ॐ ऋग्रूपिणे नमः ।
ॐ ऋजुमार्गप्रवर्तकाय नमः ।
ॐ लुळितोद्धारकाय नमः ।
ॐ लूतभवपाश प्रभञ्जनाय नमः ।
ॐ लूकाररूपकाय नमः ।
ॐ लब्धधर्ममार्गप्रवर्तकाय नमः ।
ॐ एकाधिपत्यसाम्राज्यप्रदाय नमः ।
ॐ एनौघनाशनाय नमः ॥ ११० ॥

ॐ एकपादे नमः ।
ॐ एकस्मै नमः ।
ॐ एकोनविंशतिमासभुक्तिदाय नमः ।
ॐ एकोनविंशतिवर्षदशाय नमः ।
ॐ एणाङ्कपूजिताय नमः ।
ॐ ऐश्वर्यफलदाय नमः ।
ॐ ऐन्द्राय नमः ।
ॐ ऐरावतसुपूजिताय नमः ।
ॐ ओंकारजपसुप्रीताय नमः ।
ॐ ओंकारपरिपूजिताय नमः ॥ १२० ॥
Shani Dev Do these measures to please Shani Dev all the troubles can be  removed- शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय, दूर हो सकते हैं सारे  कष्ट | Jansatta

ॐ ओंकारबीजाय नमः ।
ॐ औदार्यहस्ताय नमः ।
ॐ औन्नत्यदायकाय नमः ।
ॐ औदार्यगुणाय नमः ।
ॐ औदार्यशीलाय नमः ।
ॐ औषधकारकाय नमः ।
ॐ करपङ्कजसन्नद्धधनुषे नमः ।
ॐ करुणानिधये नमः ।
ॐ कालाय नमः ।
ॐ कठिनचित्ताय नमः ॥ १३० ॥

ॐ कालमेघसमप्रभाय नमः ।
ॐ किरीटिने नमः ।
ॐ कर्मकृते नमः ।
ॐ कारयित्रे नमः ।
ॐ कालसहोदराय नमः ।
ॐ कालाम्बराय नमः ।
ॐ काकवाहाय नमः ।
ॐ कर्मठाय नमः ।
ॐ काश्यपान्वयाय नमः ।
ॐ कालचक्रप्रभेदिने नमः ॥ १४० ॥

ॐ कालरूपिणे नमः ।
ॐ कारणाय नमः ।
ॐ कारिमूर्तये नमः ।
ॐ कालभर्त्रे नमः ।
ॐ किरीटमकुटोज्ज्वलाय नमः ।
ॐ कार्यकारणकालज्ञाय नमः ।
ॐ काञ्चनाभरथान्विताय नमः ।
ॐ कालदंष्ट्राय नमः ।
ॐ क्रोधरूपाय नमः ।
ॐ कराळिने नमः ॥ १५० ॥

ॐ कृष्णकेतनाय नमः ।
ॐ कालात्मने नमः ।
ॐ कालकर्त्रे नमः ।
ॐ कृतान्ताय नमः ।
ॐ कृष्णगोप्रियाय नमः ।
ॐ कालाग्निरुद्ररूपाय नमः ।
ॐ काश्यपात्मजसम्भवाय नमः ।
ॐ कृष्णवर्णहयाय नमः ।
ॐ कृष्णगोक्षीरसुप्रियाय नमः ।
ॐ कृष्णगोघृतसुप्रीताय नमः ॥ १६० ॥

ॐ कृष्णगोदधिषुप्रियाय नमः ।
ॐ कृष्णगावैकचित्ताय नमः ।
ॐ कृष्णगोदानसुप्रियाय नमः ।
ॐ कृष्णगोदत्तहृदयाय नमः ।
ॐ कृष्णगोरक्षणप्रियाय नमः ।
ॐ कृष्णगोग्रासचित्तस्य सर्वपीडानिवारकाय नमः ।
ॐ कृष्णगोदान शान्तस्य सर्वशान्ति फलप्रदाय नमः ।
ॐ कृष्णगोस्नान कामस्य गङ्गास्नान फलप्रदाय नमः ।
ॐ कृष्णगोरक्षणस्याशु सर्वाभीष्टफलप्रदाय नमः ।
ॐ कृष्णगावप्रियाय नमः ॥ १७० ॥

ॐ कपिलापशुषुप्रियाय नमः ।
ॐ कपिलाक्षीरपानस्य सोमपानफलप्रदाय नमः ।
ॐ कपिलादानसुप्रीताय नमः ।
ॐ कपिलाज्यहुतप्रियाय नमः ।
ॐ कृष्णाय नमः ।
ॐ कृत्तिकान्तस्थाय नमः ।
ॐ कृष्णगोवत्ससुप्रियाय नमः ।
ॐ कृष्णमाल्याम्बरधराय नमः ।
ॐ कृष्णवर्णतनूरुहाय नमः ।
ॐ कृष्णकेतवे नमः ॥ १८० ॥

ॐ कृशकृष्णदेहाय नमः ।
ॐ कृष्णाम्बरप्रियाय नमः ।
ॐ क्रूरचेष्टाय नमः ।
ॐ क्रूरभावाय नमः ।
ॐ क्रूरदंष्ट्राय नमः ।
ॐ कुरूपिणे नमः ।
ॐ कमलापति संसेव्याय नमः ।
ॐ कमलोद्भवपूजिताय नमः ।
ॐ कामितार्थप्रदाय नमः ।
ॐ कामधेनु पूजनसुप्रियाय नमः ॥ १९० ॥

ॐ कामधेनुसमाराध्याय नमः ।
ॐ कृपायुषविवर्धनाय नमः ।
ॐ कामधेन्वैकचित्ताय नमः ।
ॐ कृपराज सुपूजिताय नमः ।
ॐ कामदोग्ध्रे नमः ।
ॐ क्रुद्धाय नमः ।
ॐ कुरुवंशसुपूजिताय नमः ।
ॐ कृष्णाङ्गमहिषीदोग्ध्रे नमः ।
ॐ कृष्णेन कृतपूजनाय नमः ।
ॐ कृष्णाङ्गमहिषीदानप्रियाय नमः ॥ २०० ॥

ॐ कोणस्थाय नमः ।
ॐ कृष्णाङ्गमहिषीदानलोलुपाय नमः ।
ॐ कामपूजिताय नमः ।
ॐ क्रूरावलोकनात्सर्वनाशाय नमः ।
ॐ कृष्णाङ्गदप्रियाय नमः ।
ॐ खद्योताय नमः ।
ॐ खण्डनाय नमः ।
ॐ खड्गधराय नमः ।
ॐ खेचरपूजिताय नमः ।
ॐ खरांशुतनयाय नमः ॥ २१० ॥

ॐ खगानां पतिवाहनाय नमः ।
ॐ गोसवासक्तहृदयाय नमः ।
ॐ गोचरस्थानदोषहृते नमः ।
ॐ गृहराश्याधिपाय नमः ।
ॐ गृहराजमहाबलाय नमः ।
ॐ गृध्रवाहाय नमः ।
ॐ गृहपतये नमः ।
ॐ गोचराय नमः ।
ॐ गानलोलुपाय नमः ।
ॐ घोराय नमः ॥ २२० ॥

ॐ घर्माय नमः ।
ॐ घनतमसे नमः ।
ॐ घर्मिणे नमः ।
ॐ घनकृपान्विताय नमः ।
ॐ घननीलाम्बरधराय नमः ।
ॐ ङादिवर्ण सुसंज्ञिताय नमः ।
ॐ चक्रवर्तिसमाराध्याय नमः ।
ॐ चन्द्रमत्यसमर्चिताय नमः ।
ॐ चन्द्रमत्यार्तिहारिणे नमः ।
ॐ चराचरसुखप्रदाय नमः ॥ २३० ॥

ॐ चतुर्भुजाय नमः ।
ॐ चापहस्ताय नमः ।
ॐ चराचरहितप्रदाय नमः ।
ॐ छायापुत्राय नमः ।
ॐ छत्रधराय नमः ।
ॐ छायादेवीसुताय नमः ।
ॐ जयप्रदाय नमः ।
ॐ जगन्नीलाय नमः ।
ॐ जपतां सर्वसिद्धिदाय नमः ।
ॐ जपविध्वस्तविमुखाय नमः ॥ २४० ॥
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ॐ जम्भारिपरिपूजिताय नमः ।
ॐ जम्भारिवन्द्याय नमः ।
ॐ जयदाय नमः ।
ॐ जगज्जनमनोहराय नमः ।
ॐ जगत्त्रयप्रकुपिताय नमः ।
ॐ जगत्त्राणपरायणाय नमः ।
ॐ जयाय नमः ।
ॐ जयप्रदाय नमः ।
ॐ जगदानन्दकारकाय नमः ।
ॐ ज्योतिषे नमः ॥ २५० ॥

ॐ ज्योतिषां श्रेष्ठाय नमः ।
ॐ ज्योतिःशास्त्र प्रवर्तकाय नमः ।
ॐ झर्झरीकृतदेहाय नमः ।
ॐ झल्लरीवाद्यसुप्रियाय नमः ।
ॐ ज्ञानमूर्तिये नमः ।
ॐ ज्ञानगम्याय नमः ।
ॐ ज्ञानिने नमः ।
ॐ ज्ञानमहानिधये नमः ।
ॐ ज्ञानप्रबोधकाय नमः ।
ॐ ज्ञानदृष्ट्यावलोकिताय नमः ॥ २६० ॥


 


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