यदि आप भी हैं कोर्ट कचहरी के मामलों से परेशान तो, करें श्री शनि कवचम् का पाठ !

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Posted On:Saturday, June 25, 2022

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: ​आज शनिवार का दिन है और ये दिन शनि महाराज की पूजा को समर्पित है इस दिन शनिदेव की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं और उपवास भी रखते हैं इस दिन अगर पूजा पाठ के साथ साथ श्री शनि कवचम् का पाठ किया जाए तो कोर्ट कचहरी और कानूनी मामले में सफलता हासिल होती है और जीवन के दुखों का भी निवारण हो जाता है तो आज हम आपके लिए लेकर आए है श्री शनि कवचम् का पाठ।

shanivar ki puja shanidev upay remedies totke how to do puja on saturday -  Astrology in Hindi - शनिवार पूजा- विधि : शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए ऐसे  करें पूजन, इन

अथ श्री शनिकवचम्
 
अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः ॥
 
अनुष्टुप् छन्दः ॥ शनैश्चरो देवता ॥ शीं शक्तिः ॥
 
शूं कीलकम् ॥ शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥
 
निलांबरो नीलवपुः किरीटी गृध्रस्थितस्त्रासकरो धनुष्मान् ॥
 
चतुर्भुजः सूर्यसुतः प्रसन्नः सदा मम स्याद्वरदः प्रशान्तः ॥ १ ॥
 
ब्रह्मोवाच ॥
 
 श्रुणूध्वमृषयः सर्वे शनिपीडाहरं महत् ।
 
कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम् ॥ २ ॥
 
कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम् ।

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शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम् ॥ ३ ॥
 
ॐ श्रीशनैश्चरः पातु भालं मे सूर्यनंदनः ।
 
नेत्रे छायात्मजः पातु पातु कर्णौ यमानुजः ॥ ४ ॥
 
नासां वैवस्वतः पातु मुखं मे भास्करः सदा ।
 
स्निग्धकंठःश्च मे कंठं भुजौ पातु महाभुजः ॥ ५ ॥
 
स्कंधौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रदः ।
 
वक्षः पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितत्सथा ॥ ६॥
 
नाभिं ग्रहपतिः पातु मंदः पातु कटिं तथा ।
 
ऊरू ममांतकः पातु यमो जानुयुगं तथा ॥ ७ ॥
 
पादौ मंदगतिः पातु सर्वांगं पातु पिप्पलः ।

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अङ्गोपाङ्गानि सर्वाणि रक्षेन्मे सूर्यनंदनः ॥ ८ ॥
 
इत्येतत्कवचं दिव्यं पठेत्सूर्यसुतस्य यः ।
 
न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवति सूर्यजः ॥ ९ ॥
 
व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोSपि वा ।
 
कलत्रस्थो गतो वापि सुप्रीतस्तु सदा शनिः ॥ १० ॥
 
अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे ।
 
कवचं पठतो नित्यं न पीडा जायते क्वचित् ॥ ११ ॥
 
इत्येतत्कवचं दिव्यं सौरेर्यनिर्मितं पुरा ।
 
द्वादशाष्टमजन्मस्थदोषान्नाशायते सदा ।
 
जन्मलग्नास्थितान्दोषान्सर्वान्नाशयते प्रभुः ॥ १२ ॥
 
 ॥ इति श्रीब्रह्मांडपुराणे ब्रह्म-नारदसंवादे शनैश्चरकवचं संपूर्णं ॥


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