डब्ल्यूटीपी के डायरेक्टर अनूप बरतरिया की मुश्किलें बढ़ी, अदालत ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदलने से किया इनकार, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Tuesday, December 3, 2024

मुंबई, 03 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। चेक बाउंस के मामलों में डब्ल्यूटीपी के डायरेक्टर अनूप बरतरिया सहित 5 लोगों के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को अदालत ने जमानती वारंट में बदलने से इनकार कर दिया हैं। जयपुर महानगर प्रथम की चेक बाउंस मामलों की विशेष अदालत क्रम-8 ने अनूप बरतरिया व अन्य की ओर से जारी प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। दरअसल, 2.59 करोड़ के चेक बाउंस के मामले में अदालत ने अनूप बरतरिया, उनकी पत्नी रूचि बरतरिया, उनकी मां सरोजनी बरतरिया सहित अन्य के खिलाफ कोर्ट में पेश नहीं होने पर गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। इसके साथ ही अदालत ने पूर्व में जारी गिरफ्तारी वारंट की तामील स्पेशल मैसेंजर से कराने के लिए कहा है। वहीं इन सभी लोगों को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं।

यूको बैंक के अधिवक्ता दिनेश गर्ग ने बताया कि ये सभी लोग वर्ल्ड ट्रेड पार्क लिमिटेड (डब्ल्यूटीपी) के डायरेक्टर हैं। इन्होंने डब्ल्यूटीपी की प्रोपटी को मोरगेज रखते हुए 2010 में बैंक से 45 करोड़ का लोन लिया था। लेकिन साल 2013 में इनकी कुछ किस्तें बाउंस हो गई। जिसके पेटे इन्होने बैंक को 2.59 करोड़ के तीन चेक दिए। लेकिन यह तीनों चेक भी बाउंस हो गए। जिसके बाद बैंक ने कोर्ट में परिवाद दायर किया। कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ 23 मई 2014 को प्रसंज्ञान लेकर समन जारी किए थे। लेकिन उसके बाद भी यह कोर्ट में पेश नहीं हुए। फिर कोर्ट ने इन्हें 2 फरवरी 2018 को जमानती वारंट से तलब किया। लेकिन ये लोग फिर भी नहीं आए। जिसके बाद कोर्ट ने इनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए।

डब्ल्यूटीपी के डायरेक्टर्स की ओर से प्रार्थना पत्र जारी करके कहा गया था कि हमारा बैंक से राजीनामा हो चुका हैं। हमने चैक की राशि भी बैंक को जमा करा दी हैं। एनआई एक्ट की धारा 138 जमानतीय अपराध है। उन पर जमानती वारंट की तालीम नहीं हुई है और सीधे गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं किए जा सकते हैं। ऐसे में गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदला जाए। इसका विरोध करते हुए बैंक के अधिवक्ता दिनेश गर्ग ने कहा कि आरोपियों को प्रकरण की पूरी जानकारी होने के बावजूद भी अदालत में हाजिर नहीं हो रहे हैं। वहीं जिस राशि को जमा कराने की यह बात कह रहे है, वो राशि इनके खिलाफ ऋण वसुली अधिकरण में दायर वाद को लेकर दी गई थी। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदलने से इनकार कर दिया।


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