मुंबई, 06 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दिल्ली स्थित कर्तव्य पथ पर बने कर्तव्य भवन-03 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह भवन सिर्फ एक इमारत नहीं बल्कि करोड़ों भारतीयों के सपनों को साकार करने की भूमि है। प्रधानमंत्री ने बताया कि गृह मंत्रालय पिछले सौ वर्षों से एक ही इमारत में काम कर रहा था, जबकि कई अन्य मंत्रालय किराए की इमारतों में संचालित हो रहे हैं, जिन पर हर साल सरकार को लगभग 1500 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। कर्तव्य भवन, 2019 में शुरू हुए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है और कॉमन सेंट्रल सेक्रेटरिएट की 10 इमारतों में से पहला भवन है, जिसे उद्घाटन के लिए तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में स्थित मंत्रालयों और विभागों को एक ही परिसर में लाकर उनके बीच समन्वय बेहतर करना और प्रशासनिक कार्यों की गति को तेज करना है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगस्त का महीना क्रांति का प्रतीक है और स्वतंत्रता दिवस से पहले यह ऐतिहासिक क्षण आधुनिक भारत के निर्माण की दिशा में एक और मील का पत्थर है। उन्होंने कर्तव्य पथ, नया संसद भवन, रक्षा मंत्रालय भवन, भारत मंडपम, यशो भूमि, नेशनल वॉर मेमोरियल और सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा जैसे कई निर्माण कार्यों का जिक्र करते हुए इन्हें केवल भवन नहीं बल्कि लोकतंत्र और संविधान की भावना का प्रतीक बताया।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि स्वतंत्रता के बाद देश का प्रशासन ब्रिटिश काल की बनी इमारतों से संचालित होता रहा, जबकि आज के आधुनिक भारत को तकनीकी रूप से उन्नत और कार्यकुशल भवनों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में स्थित मंत्रालयों के बिखराव की वजह से हर दिन हजारों कर्मचारियों को अलग-अलग दफ्तरों में आना-जाना पड़ता है, जिससे समय की भी हानि होती है और कार्य की गति भी प्रभावित होती है। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि आज देश में प्रशासनिक कार्यों को पारदर्शी बनाया गया है और सरकारी योजनाओं की डिलीवरी में बिचौलियों की भूमिका समाप्त कर दी गई है। पहले की सरकारें ऐसे लोगों के नाम पर पैसे भेज रही थीं जो अस्तित्व में ही नहीं थे, जिससे 4.20 लाख करोड़ रुपए की चोरी हो रही थी। इस पर रोक लगाकर अब यह पैसा देश के विकास में लगाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि कर्तव्य भवन जैसी इमारतों का निर्माण इसलिए जरूरी है ताकि कर्मचारियों को एक आधुनिक, सुरक्षित और सुसज्जित वर्क एनवायरमेंट मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक देश में 1500 से ज्यादा पुराने और अनुपयोगी कानून खत्म किए जा चुके हैं, जिनमें से कई औपनिवेशिक काल के थे।
कर्तव्य भवन-03 सात मंजिला है, जिसमें ग्राउंड फ्लोर समेत कुल सात फ्लोर शामिल हैं। इस इमारत में गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय और इंटेलिजेंस ब्यूरो शामिल होंगे। यह भवन 1.5 लाख वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला है और यहां एक साथ 600 कारों की पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा क्रेच, योग कक्ष, चिकित्सा कक्ष, कैफे, किचन और बड़ा हॉल भी बनाया गया है। भवन में कुल 24 कॉन्फ्रेंस रूम बनाए गए हैं, जिनमें प्रत्येक की क्षमता 45 लोगों के बैठने की है। सरकार का कहना है कि अभी कई मंत्रालय 1950 से 1970 के दशक के बीच बने शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन जैसी पुरानी और जर्जर इमारतों में काम कर रहे हैं, जिन्हें अब चरणबद्ध तरीके से आधुनिक भवनों में स्थानांतरित किया जाएगा।